एक रोज़ अली निकली इकली

ek roz ali nikli ikli

राधेश्याम कथावाचक

राधेश्याम कथावाचक

एक रोज़ अली निकली इकली

राधेश्याम कथावाचक

एक रोज़ अली निकली इकली,

कली नंद को नंदन आय गयो।

नट नागर नटवर नटखट नट,

वंशीवट तट भटकाय गयो॥

छलछंद भरो ब्रजचंद मुकुंद,

अनंद से वेणु बजाय गयो।

सुर-ताल से गाय निहाल कियो,

किरपाल जमाल दिखाय गयो॥

बेचैन कियो कह बैन मधुर,

फिर नैन की सैन चलाय गयो।

मुसकाय रिझाय लुभाय गयो,

डरपाय मनाय हँसाय गयो॥

हँसकर बसकर कसमस कीन्ही,

रस-भीनी सुबात सुनाय गयो।

नट नागर नटवर नटखट नट,

वंशीवट तट भटकाय गयो॥

भृकुटी कर बंक गही लकुटी,

दधि की मटुकी ढरकाय गयो।

बतियाँ घतियाँ कर छुई छतियाँ,

बैयां चुरियाँ मुरकाय गयो॥

घूँघट को उलट झपट नटखट,

घुड़की झुड़की बतलाय गयो।

झट झंझट कर दई एक डपट,

ऐसो ये निपट इतराय गयो॥

नंदलाल गुपाल ने चाल करी,

तत्काल कुचाल मचाय गयो।

नट नागर नट वर नटखट नट,

वंशीवट तट भटकाय गयो॥

रगड़ा झगड़ा कर के निगुड़ा,

घड़ा मेरो दही को गिराय गयो।

बुलवाय सखान दिखाय लुटाय,

बचाय के बारि बहाय गयो॥

करी रार बड़ी जड़ी एक छड़ी,

फिर कर के खड़ी नचवाय गयो।

अलसात प्रभात सुहात भलो,

झट गात से गात मिलाय गयो॥

चुलबुल में भरो चंचल अचपल

छलबल कर चित्त चुराय गयो।

नट नागर नटवर नटखट नट,

वंशीवट तट भटकाय गयो॥

होकर के निडर नटवर लंगर,

अंबर जल मांहि डुबाय गयो।

बिहंसाय गयो, बतराय गयो,

धमकाय गयो, बौराय गयो॥

अँगिया मसकाय हटाय दई,

गरवा हरवा कड़काय गयो।

करी रार, लवार, हज़ार कही,

शृंगार बिगार, बिलाय गयो॥

बरज़ोरी मैं दौरी बिहारी के संग,

मोहिं पौरी पै बौरी बनाय गयो।

नट नागर नटवर नटखट नट,

वंशीवट तट भटकाय गयो॥

दर्शन कर मग्न भई मैं तो,

तन-मन कर होश भुलाय गयो।

उत वो चितचोर मरोर भगो,

इत उत चितवत ही छुपाय गयो॥

फिरी डोलत ढूँढ़त मैं चहुँदिश,

ब्रजपति कित जानै लुकाय गयो।

वृंदावन, मधुवन गोवर्धन,

सब घाटन मोहिं घुमाय गयो॥

मनमोहन ‘राधेश्याम’ सज्जन,

अँखियन में मोरी समाय गयो।

नट नागर नटवर नटखट नट,

वंशीवट तट भटकाय गयो॥

स्रोत :
  • पुस्तक : राधेश्याम-विलास (पृष्ठ 25)
  • रचनाकार : राधेश्याम कथावाचक
  • प्रकाशन : राधेश्याम पुस्तकालय, बरेली
  • संस्करण : 1925

संबंधित विषय

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY