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'संगत'-प्रसंग : पक्ष और प्रमाण

‘संगत’—‘हिन्दवी’ का प्रमुख कार्यक्रम है। इसके अंतर्गत हिंदी साहित्य संसार के महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्वों के वीडियो-साक्षात्कार ‘हिन्दवी’ के यूट्यूब चैनल पर प्रसारित किए जाते हैं। इस सिलसिले में 23 मई 2025 को ‘संगत’ के 95वें एपिसोड में ‘हिन्द युग्म प्रकाशन’ के संस्थापक-संपादक शैलेश भारतवासी से बातचीत प्रसारित हुई। इस लगभग 1 घंटे 45 मिनट लंबी बातचीत के 53वें मिनट पर जो प्रसंग छिड़ा, उस पर सुप्रसिद्ध कवि-लेखक गगन गिल ने अपनी आपत्ति दर्ज की है। हम उनके पक्ष को अत्यंत ज़रूरी मानते हुए, उनका पक्ष यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं। हमें खेद है कि इस प्रसंग से उन्हें कष्ट पहुँचा और अपने स्वभाव के विपरीत जाकर इस पर प्रतिक्रिया देने के लिए विवश होना पड़ा...

पक्ष : 

संपादकीय विभाग, हिन्दवी

कृपया ध्यान दें एवं मेरा पक्ष पाठकों तक पहुँचाने की कृपा करें।

आपके मंच से प्रसारित ‘संगत’ कार्यक्रम में  प्रकाशक श्री शैलेश भारतवासी ने कहा कि वह हमारी किताबों के संबंध में मुझसे कभी मिलने नहीं आए, बल्कि मैंने उन्हें एप्रोच किया। यह बात इतनी असत्य, हल्की और गरिमाविहीन है कि इस पर प्रतिक्रिया देने में मुझे नौ दिन लगे।

बहरहाल, मैं पाठकों के सामने यह तीन स्क्रीन-शॉट रख रही हूँ, जिससे सब कुछ स्पष्ट होगा।

श्री शैलेश एक कवि मित्र के रेफ़रेंस से 12 मार्च 2023 को मुझसे समय लेकर मेरे निवास पर मिलने आए थे। उस मुलाक़ात और श्री शैलेश पर मैंने दस दिन के संकोच के बाद अपनी प्रतिक्रिया उन मित्र को दी थी।

यदि ‘संगत’ के कार्यक्रम में कैमरे पर कहे इस विचित्र असत्य वचन ने मुझे हतप्रभ न किया होता, तो इन निजी संदेशों के स्क्रीन-शॉट्स यहाँ देने की ज़रूरत न थी।

गगन गिल

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प्रमाण :

 

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