Shashank Mishra's Photo'

शशांक मिश्र

नई पीढ़ी के लेखक।

नई पीढ़ी के लेखक।

शशांक मिश्र के बेला

17 मई 2025

चंदर से गलबहियाँ नहीं, सुधा पर लानत नहीं

चंदर से गलबहियाँ नहीं, सुधा पर लानत नहीं

धर्मवीर भारती के कालजयी उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’ पर इन दिनों फिर से चर्चा हो रही है। यह भी कम अचरज भरी बात नहीं है। आज़ादी के दो साल बाद आए इस उपन्यास पर अगली सदी में इस तरह का डिस्कोर्स शायद इसके

05 मई 2025

स्पर्श : दुपहर में घर लौटने जितना सुख

स्पर्श : दुपहर में घर लौटने जितना सुख

सोमवार से बहाल हुई दिनचर्या शुक्रवार शाम की राह तकती है—दरमियान का सारा वक़्त अनजाने निगलते हुए। एक जानिब को कभी लगा ही नहीं कि सुख शनिवार का नहीं, उसके पास जाने की हल्की तलब का होता है। कितना मुश्कि

03 मार्च 2025

क़व्वाली का ‘हाँ-हाँ दुर्योधन बाँध मुझे’ मोमेंट

क़व्वाली का ‘हाँ-हाँ दुर्योधन बाँध मुझे’ मोमेंट

क़व्वाल उस्ताद फ़रीद अयाज़ और उस्ताद अबू मुहम्मद की एक शाम यूट्यूब पर क़ैद है। दूर शहर। घर की अंतरंग महफ़िल। हारमोनियम, ढोल और शागिर्द। ख़ुसरो दिल्ली में अपने आँगन में सोए हैं। शब्द शताब्दियों से

23 जनवरी 2025

उम्मीद का चक्र जब पूरा होता है, तब ज़िंदगी कहाँ होती है!

उम्मीद का चक्र जब पूरा होता है, तब ज़िंदगी कहाँ होती है!

सुंदरता की अपने तहें होती हैं। बहुत मुलायम और क्रूर भी। मन हमेशा इतना ही अनजान रहता है कि वह परतों के इस जमावड़े को भूल जाए। कहाँ ध्यान रहता है कि सुख के किस क्षण ने हाल में फूटे दुखों के ज्वालामुखी

02 जनवरी 2025

‘द लंचबॉक्स’ : अनिश्चित काल के लिए स्थगित इच्छाओं से भरा जीवन

‘द लंचबॉक्स’ : अनिश्चित काल के लिए स्थगित इच्छाओं से भरा जीवन

जीवन देर से शुरू होता है—शायद समय लगाकर उपजे शोक के गहरे कहीं बहुत नीचे धँसने के बाद। जब सुख सरसराहट के साथ गुज़र जाए तो बाद की रिक्तता दुख से ज़्यादा आवाज़ करती है। साल 2013 में आई फ़िल्म ‘द लंचब

Recitation