साहस पर कथाएँ
साहस वह मानसिक बल या
गुण है, जिसके द्वारा मनुष्य यथेष्ट ऊर्जा या साधन के अभाव में भी भारी कार्य कर बैठता है अथवा विपत्तियों या कठिनाइयों का मुक़ाबला करने में सक्षम होता है। इस चयन में साहस को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।
बाल महाभारत : पहला, दूसरा और तीसरा दिन
कौरवों की सेना के अग्रभाग पर प्रायः दुःशासन ही रहा करता था और पांडवों की सेना के आगे भीमसेन बाप ने बेटे को मारा। बेटे ने पिता के प्राण लिए। भानजे ने मामा का वध किया। मामा ने भानजे का काम तमाम किया। युद्ध का यह दृश्य था। पहले दिन की लड़ाई में भीष्म ने
चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य
बाल महाभारत : प्रतिज्ञा-पूर्ति
द्रोण ने कहा—“मालूम होता है, यह तो अर्जुन ही आया है।” आचार्य की शंका और घबराहट दुर्योधन को ठीक न लगी। तभी कर्ण बोला—“पांडव जुए के खेल में जब हार गए थे, तो शर्त के अनुसार उन्हें बारह बरस का वनवास और एक बरस अज्ञातवास में बिताना था। अभी तेरहवाँ बरस पूरा
चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य
बाल महाभारत : चौथा, पाँचवाँ और छठा दिन
पौ फटी लड़ाई शुरू हो गई। शल्य का पुत्र मारा गया। भीमसेन ने दुर्योधन के आठ भाई मार डाले। दुर्योधन ने भी निशाना साधकर भीमसेन की छाती पर एक भीषण अस्त्र चलाया। चोट खाकर भीम मूच्छित-सा होकर रथ पर बैठ गया। अपने पिता का यह हाल देखकर घटोत्कच के क्रोध का ठिकाना
चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य
बाल महाभारत : पांडवों की रक्षा
पाँचों पांडव माता कुंती के साथ वारणावत के लिए चल पड़े। उनके हस्तिनापुर छोड़कर वारणावत जाने की ख़बर पाकर नगर के लोग उनके साथ हो लिए। बहुत दूर जाने के बाद युधिष्ठिर का कहा मानकर नगरवासियों को लौट जाना पड़ा। दुर्योधन के षड्यंत्र और उससे बचने का उपाय विदुर
चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य
बाल महाभारत : महाभारत कथा
महाभारत की कथा महर्षि पराशर के कीर्तिमान पुत्र वेद व्यास की देन है। व्यास जी ने महाभारत की यह कथा सबसे पहले अपने पुत्र शुकदेव को कंठस्थ कराई थी और बाद में अपने दूसरे शिष्यों को मानव-जाति में महाभारत की कथा का प्रसार महर्षि वैशंपायन के द्वारा हुआ। वैशंपायन
चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य
बाल महाभारत : द्रौपदी-स्वयंवर
जिस समय पांडव एकचक्रा नगरी में ब्राह्मणों के वेष में जीवन बिता रहे थे, उन्हीं दिनों पांचाल-नरेश की कन्या द्रौपदी के स्वयंवर की तैयारियाँ होने लगीं। एकचक्रा नगरी के ब्राह्मणों के झुंड पांचाल देश के लिए रवाना हुए। पांडव भी उनके साथ ही हो लिए। पाँचों भाई
चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere