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साहस पर कविताएँ

साहस वह मानसिक बल या

गुण है, जिसके द्वारा मनुष्य यथेष्ट ऊर्जा या साधन के अभाव में भी भारी कार्य कर बैठता है अथवा विपत्तियों या कठिनाइयों का मुक़ाबला करने में सक्षम होता है। इस चयन में साहस को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।

अंतिम ऊँचाई

कुँवर नारायण

नर हो, न निराश करो मन को

मैथिलीशरण गुप्त

कोई दुःख

कुँवर नारायण

भेड़िया

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

दीवानों की हस्ती

भगवतीचरण वर्मा

उनको प्रणाम!

नागार्जुन

चेतक की वीरता

श्याम नारायण पाण्डेय

ईंटें

नरेश सक्सेना

मुट्ठी भर चावल

ओमप्रकाश वाल्मीकि

मातृभूमि

सोहनलाल द्विवेदी

नागरिक पराभव

कुमार अम्बुज

प्रार्थना

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

और अधिक गहरे

सुभाष मुखोपाध्याय

रपट

एरिष फ्रीड

एक अमरीकी लेखक से बातचीत

येव्गेनी येव्तुशेंको

हेंगिस्ट साइनिंग

होर्खे लुइस बोर्खेस

साहस का प्रभाव है वह

ऋतु कुमार ऋतु

परछाइयाँ

देवरकोण्ड बालगंगाधर तिलक

जननी जन्मभूमि

सुभाष मुखोपाध्याय

यक़ीनन

कमल जीत चौधरी

एक लड़ाई

कुलदीप मिश्र

रहा

देवी प्रसाद मिश्र

मैंने गंगा को देखा

केदारनाथ सिंह

बहादुर औरतें

अशोक कुमार

त्रयी

दुर्गाचरण परिड़ा

शब्द

केदारनाथ सिंह

समझदार आदमी

रामकुमार तिवारी

ग़लती

स्नेहमयी चौधरी

मध्यवर्ग

अमन त्रिपाठी

जीने के सौ विकल्प

कुमार कृष्ण शर्मा

इस यात्रा में

तुषार धवल

लहू में लोहा

कुमार कृष्ण शर्मा

सधुक्कड़ी

अनिल मिश्र

संघर्ष के समय

सामुईल गाल्किन

महाप्रस्थान

श्री श्री

जो नाथेगा नाग

राकेश रंजन

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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