Font by Mehr Nastaliq Web

तिही गुणी बिभवण बिआपिआ

tihi gunai bibhwan biapia

गुरु अमरदास

अन्य

अन्य

गुरु अमरदास

तिही गुणी बिभवण बिआपिआ

गुरु अमरदास

और अधिकगुरु अमरदास

    तिही गुणी बिभवण बिआपिआ, भाई गुर मुखि बूझ बुझाइ।

    राम नामि लगि छटिऐ, भाई पूछहू गिआनीआ जाइ॥

    मनरे त्रैतुण छोडि चउथै चितु लाइ।

    हरि जोउ तेरै मनि बसै भाई, सदा हरि केरा गुण गाइ॥रहाउ॥

    नामै ते सभि ऊपजै भाई, नाम विसरिऐ मरि जाइ।

    अगिआनी जगतु अंधु है भाई, भवजलु पारि उतारि।

    जगमहि लाहा हरिनामु हे भाई, हिरदै रखिआ उरधारि॥

    गुर सरणाई उबरे भाई, राम नामि लिव लाइ।

    नानक नाउ बेड़ा नाउ तुलहड़ा भाई, जितु लगि पारि जान पाइ॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : संत काव्य-धारा (पृष्ठ 159)
    • संपादक : परशुराम चतुर्वेदी
    • रचनाकार : अमरदास
    • प्रकाशन : किताब महल, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1981

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए