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समझि देखि मन मेरा रे

samajhi dekhi man mera re

हरिदास निरंजनी

अन्य

अन्य

हरिदास निरंजनी

समझि देखि मन मेरा रे

हरिदास निरंजनी

समझि देखि मन मेरा रे!

या जग मांहि जागि हम देख्या, सगा कोई तेरा रे॥

तात मात वनिता सुत बंधु, जतन जीवतां करि ही रे।

मूँवा जालि-वालि धरि आवै, ता मरहट तैं डर ही रे॥

राम बिसारि हारि मति चालौ, कहि समझाऊँ लोई रे।

माया सांचि संगि ले जाता, देख्या सुण्या कोई रे॥

जामैं मरै मरै पुनि जामैं, मरत लोक में आवै रे।

जन हरिदास देखि मति मंदा, गोबिंद काँई गावै रे॥

स्रोत :
  • पुस्तक : महाराज हरिदासजी की वाणी (पृष्ठ 187)
  • संपादक : मंगलदास स्वामी
  • प्रकाशन : निखिल भारतीय निरंजनी महासभा
  • संस्करण : 1962

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