Font by Mehr Nastaliq Web

साईं तेरो गुप्त मर्म हम जानी

sain tero gupt marm hum jani

दूलनदास

अन्य

अन्य

दूलनदास

साईं तेरो गुप्त मर्म हम जानी

दूलनदास

और अधिकदूलनदास

    साईं तेरो गुप्त मर्म हम जानी।

    कस करि कहौं बखानी॥

    सतगुरु संत भेद मोहि दीन्हा, जग से राखा छानी।

    निज घर का कोउ खोज कीन्हा, करम भरम अटकानी॥

    निज घर है वह अगम अपारा, जहाँ बिराजै स्वामी।

    ता के परे अलोक अनामी, जा का रूप नामी॥

    ब्रम्ह रूप धरि सृष्टि उपाई, आप रहा अलगानी।

    बेद कितेब की रचन रचाई, दस औतार घरानी॥

    निज माता सीता सोइ राधा, निज पितु राम सुवामी।

    दोउ मिलि जीवन बंद छुड़ाया, निज पद मैं दिया ठामी॥

    दूलनदास के साईं जगजीवन, निज सुत जक्त पठानी।

    मुक्ति द्वार की कूँची दीन्ही, ता तें कुलुफ खुलानी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : संतबानी (पृष्ठ 5)
    • रचनाकार : दूलनदास
    • प्रकाशन : प्रोप्रैटर वेलवेडियर छापाखाना इलाहाबाद
    • संस्करण : 1914

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए