महिमा पर सबद

महिमा महानता की अवस्था

या भाव है। महिमा की गिनती आठ प्रकार की सिद्धियों में से एक के रूप में भी की गई है। इस चयन में शामिल काव्य-रूपों में ‘महिमा’ कुंजी-शब्द के रूप में उपस्थित है।

कतिक करम कमावणे

गुरु अर्जुनदेव

सावण सरसी कामणी

गुरु अर्जुनदेव

जग में संत भये कैसे भारी

दरिया (बिहार वाले)

प्रेमी सुनो प्रेम की बात

संत शिवदयाल सिंह

घर आग लगावे सखी

संत शिवदयाल सिंह

जो सुमिरूँ तो पूरन राम

संत दरिया (मारवाड़ वाले)

असुन प्रेम उमाहड़ा

गुरु अर्जुनदेव

मंघिर माहे सोहंदीआ

गुरु अर्जुनदेव

रमईया तुम बिन रह्यो न जाइ

तुरसीदास निरंजनी

सो पुरुष निरंजनु

गुरु रामदास

गुरु बिना कभी न उतरे पार

संत शिवदयाल सिंह

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere