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चोरु सलाहे चीतु न भीजै

choru salahe chitu na bhijai

गुरु नानक

अन्य

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गुरु नानक

चोरु सलाहे चीतु न भीजै

गुरु नानक

और अधिकगुरु नानक

    चोरु सलाहे चीतु भीजै। जे बदी करे ता तसू छीजै॥

    चोर की हामी भरे कोइ। चोरु कीआ चंगा किउ होइ॥

    सुणि मन अंधे कुते कूड़िआर। बिनु बोले बुझीऐ सचिआर॥ रहाउ॥

    चोरु सुआलिउ चोरु सिआणा। खोटे का मुलु एकु दुगाणा॥

    जे साथि रखीऐ दीजै रलाइ। जो परखीऐ खोटा होइ जाइ॥

    जैसा करे सु तैसा पावै। आपि बीजि आपे ही खावै॥

    जे वडिआईआ आपे खाइ। जेही सुरति तेहै राहि जाइ॥

    जे सउ कूड़ीआ कूड़ कबाड़ु। भावै सभु आखउ संसारु॥

    तुधु भावै अधी परवाणु। नानक जाणै जाणु सुजाण॥

    (यदि कोई) चोर (खोटा व्यक्ति) किसी की श्लाधा (प्रशंसा) भी करे, (तो उससे उसका) चित्त नहीं प्रसन्न होता। यदि (वह चोर) बुराई भी करता है, (तो तनिक) घाटा भी नहीं होता। चोर की हामी कोई भी नहीं भरता (चोर का जामिन कोई भी नहीं होता)। जो काम चोर ने किया है, वह सुंदर कैसे हो सकता है?

    हे अंधे कुत्ते और झूठे मन सुनो; सच्चा (हरी) बिना बोले ही सब कुछ जानता है।

    चाहे चोर सुहावना (बन जाय) चतुर (दिखाई दे), किंतु है वह खोटा ही। खोटे का मूल्य जो गंडे है (अत्यंत तुच्छ है)। चाहे खोटे रुपये को (अन्य खरे सिक्कों के) साथ रखिये (अथवा उनमें बिल्कुल) मिला दीजिए, किंतु जब उसकी परख होगी, तो खोटा ही निकलेगा।

    (मनुष्य) जैसा करता है, वैसा ही पता है, (वह) भाप ही बोता है और आप ही (उसके फल) खाता है। यदि (कोई खोटा मनुष्य) स्वयं ही (अपनी) बड़ाइयाँ करे, (तो बड़ा नहीं बन जाता), जैसी उसकी बुद्धि है, वैसे ही राह चलेगा। तात्पर्य यह कि वह अपनी बुद्धि के अनुसार कार्य करेगा।

    यदि (खोटा आदमी) सो झूठी (बाते) करे और बुरी वस्तुओं को अच्छी बना कर दिखाये, और सारा (संसार धोखा खाकर उसे अच्छा) कहे, किंतु है वह खोटा ही। [कवाड़=टूटी फूटी चीज़ों को अच्छी बनाकर बेचना, जैसा कवाड़ी लोग करते हैं]। (हे प्रभु, यदि) तुझे अच्छा लगे, ते अर्द्ध (पुरुष) (अपूर्ण व्यक्ति) भी प्रामाणिक हो जाए। हे नानक, वह जानकर (त्रिकालश प्रभु) सब कुछ जानता है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : गुरु नानकदेव वाणी और विचार (पृष्ठ 230)
    • संपादक : रमेशचंद्र मिश्र
    • रचनाकार : गुरु नानक
    • प्रकाशन : संत साहित्य संस्थान
    • संस्करण : 2003

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