अब कहा सोय राम कह भाई

ab kaha soy ram kah bhai

सगरामदास

सगरामदास

अब कहा सोय राम कह भाई

सगरामदास

अब कहा सोय राम कह भाई। रैन गई बासर भयो आई॥

पूर्व पुन्य ते नर देह पाई। हरि बे मुख मत भूल गमाई॥

ताते एह उर करो बिचारा। नर तन मिलै बारंबारा॥

जात कपूर उड़ै कर सेती। तो बहुरै आवै नहिं जेती॥

तिरिया तेल चढ़ै इक बारा। बहुरि चढ़हि दूसरी बारा॥

केल फूल फल एक ही होई। बहुरै फल लागै नहिं कोई॥

काच फूट किरची हुय जावे। सौ बहुरै साबत नहिं थावै॥

सत्तिया छिटक परीसिंध माँही। सो कबहूँ कर आवै नाहीं॥

एक बार कागज लिख सोई। जो दूसर लिखिहै नहिं कोई॥

जो मोती बींधत जो फूटा। तो कबहूँ मीले नहिं पूठा॥

फाट पषाण तेड़ जो आई। सो कबहूँ मीलै मिलाई॥

सती सिंगार किया सज सोई। या तन और करै नहिं कोई॥

ऐसे ही यह नर तन कहिये। सो बिनसै बहुरैं नहिं पइये॥

नर तन अखै होय तब भाई। सेवगराम राम लिव लाई॥

स्रोत :
  • पुस्तक : कल्याण पत्रिका (संतबानी अंक) (पृष्ठ 433)
  • संपादक : हनुमान प्रसाद पोद्दार
  • रचनाकार : सगरामदास
  • प्रकाशन : गीता प्रेस गोरखपुर
  • संस्करण : जनवरी 1955
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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