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वृंदावनलाल वर्मा

1889 - 1969 | झाँसी, उत्तर प्रदेश

हिन्दी के ऐतिहासिक उपन्यासकार, कहानीकार और नाटककार। रोचक और धाराप्रवाह वर्णनात्मक शैली। भाषा में बुंदेलखंडी पुट।

हिन्दी के ऐतिहासिक उपन्यासकार, कहानीकार और नाटककार। रोचक और धाराप्रवाह वर्णनात्मक शैली। भाषा में बुंदेलखंडी पुट।

वृंदावनलाल वर्मा के उद्धरण

स्त्रियाँ दृढ़ता का कवच पहनें तो फिर संसार में ऐसा पुरुष कोई हो ही नहीं सकता जो उनको लूट ले।

स्त्री का गौरव, सौंदर्य, महत्त्व स्थिरता में है।

तल्लीनता के साथ शून्य ध्यान में मग्न हो जाना यही असली ध्यान है।

स्त्री की बात ही उसकी ढाल तलवार है।

शिल्पी और कारीगर निर्माण कला के शब्द और व्याकरण हैं।

मैं कहूँगा और फिर कहूँगा। समय कहेगा और संसार कहेगा। इतिहास कहेगा और कहानियाँ कहेंगी। मुझे मार डालो, इससे आप लोगों की अपकीर्ति का प्रवाद रुकेगा नहीं।

धर्म की आज्ञा सबसे ऊपर होती है।

स्त्री को पराजित करना हो तो उसकी प्रशंसा करो।

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