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केदारनाथ सिंह

1934 - 2018 | बलिया, उत्तर प्रदेश

समादृत कवि-लेखक। भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित।

समादृत कवि-लेखक। भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित।

केदारनाथ सिंह की संपूर्ण रचनाएँ

कविता 26

उद्धरण 65

कवि को लिखने के लिए कोरी स्लेट कभी नहीं मिलती है। जो स्लेट उसे मिलती है, उस पर पहले से बहुत कुछ लिखा होता है। वह सिर्फ़ बीच की ख़ाली जगह को भरता है। इस भरने की प्रक्रिया में ही रचना की संभावना छिपी हुई है।

कविता विचारहीन नहीं हो सकती, परंतु विचारात्मक प्रतिबद्धता को मैं कविता के लिए अनिवार्य नहीं मानता।

मुझे कई बार लगता है कि पेड़ शायद आदमी का पहला घर है।

कविता क्रांति ले आएगी, ऐसी ख़ुशफ़हमी मैंने कभी नहीं पाली, क्योंकि क्रांति एक संगठित प्रयास का परिणाम होती है, जो कविता के दायरे के बाहर की चीज़ है।

अभिव्यक्ति के सारे माध्यम जहाँ निरस्त या समाप्त हो जाते हैं, शब्द वहाँ भी जीवित रहता है।

वीडियो 14

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केदारनाथ सिंह

केदारनाथ सिंह

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
कक्षा 12 - "दिशा" कविता की सप्रसंग व्याख्या / Explanation of Poem Disha / केदारनाथ सिंह / Kedaranath

केदारनाथ सिंह

केदारनाथ सिंह की कविता बनारस Class-12 Hindi Sahitya Antra Bhag-2 | Banaras Class 12

केदारनाथ सिंह

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