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कालिंदीचरण पाणिग्राही

1901 - 1991 | विश्वनाथपुर, ओड़िशा

समादृत ओड़िया कवि-उपन्यासकार-नाटककार। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

समादृत ओड़िया कवि-उपन्यासकार-नाटककार। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

कालिंदीचरण पाणिग्राही के उद्धरण

मुझे स्वर्ग अच्छा नहीं लगता। यह मृत्युलोक ही मेरे लिए स्नेह-सदन है, सुख की मणि है।

नया फिर क्षण मात्र में ही पुराना हो जाता है।

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अतीत का क्षीण अवशेष ही नवीन का मेरुदंड है। सफ़ेद केशों वाले पुरातन! तुम्हीं भविष्य के शासक हो।

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