Font by Mehr Nastaliq Web
noImage

जोसेफ रुडयार्ड किपलिंग

1865 - 1936 | मुंबई, महाराष्ट्र

ब्रिटिश लेखक। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित।

ब्रिटिश लेखक। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित।

जोसेफ रुडयार्ड किपलिंग के उद्धरण

हमारी जन्मभूमि, धर्मभूमि, गौरवभूमि! तेरे लिए हमारे पूर्वजों ने मृत्यु का वरण किया। हे मातृभूमि! हम भविष्य के लिए तुझे अपना मस्तक, हृदय और हाथ अर्पित करते हैं।

कल्पना सत्य की बड़ी बहन है। स्पष्टतः जब तक किसी ने कहानी नहीं कही थी तब तक संसार में कोई नहीं जानता था कि सत्य क्या है। अतः यह सबसे प्राचीन कला है, यह इतिहास की जननी है।

वही सबसे तेज़ चलता है जो अकेला चलता है।

हे जन्मभूमि! हम उन आगामी वर्षों में अपना प्रेम और कठोर परिश्रम तुझे अर्पित करते हैं जब हम बड़े होकर अपनी जाति में पुरुषों और स्त्रियों के रूप में अपना स्थान ग्रहण करेंगे।

हर व्यक्ति किसी किसी बात पर कम या ज़्यादा पागल होता है।

हे ईश्वर! हम भीड़ के भय अथवा कृपा से संत्रस्त हुए बिना तेरे साथ चल सकें।

Recitation