कवित्त

वर्णिक छंद। चार चरण। प्रत्येक चरण में सोलह, पंद्रह के विराम से इकतीस वर्ण। चरणांत में गुरू (ऽ) अनिवार्य। वर्णों की क्रमशः आठ, आठ, आठ और सात की संख्या पर यति (ठहराव) अनिवार्य।

1583 -1603

रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रेमोन्मत्त कवि। कविता में हृदय पक्ष की प्रधानता। परिमार्जित भाषा और अनूठी उत्प्रेक्षाओं के लिए विख्यात।