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दुनिया का कोण

duniya ka kon

नवीन रांगियाल

अन्य

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नवीन रांगियाल

दुनिया का कोण

नवीन रांगियाल

और अधिकनवीन रांगियाल

    दुनिया के जिस कोण पर मैं पैदा हुआ

    वहाँ से शेष दुनिया पूरी तरह बदल चुकी है

    वहाँ से मैं बहुत पीछे रह गया हूँ

    जीवन में भी और प्रेम में भी

    बावजूद इसके

    मैं उसी दुनिया में रहना चाहूँगा

    जिस कोण पर मैं पैदा हुआ

    वहाँ से तुम समंदर में नहाती कोई अप्‍सरा नहीं हो

    जिसके पानी में नमकीन हो गया हो तुम्‍हारा बदन

    कि तुम्‍हारे बदन के पीछे-पीछे चला आऊँ

    मैं अपने मन में तुम्‍हें रोटी में डाले गए नमक के जितना याद रखता हूँ

    देह की गंध की तरह

    इस दुनिया में

    मुझे किसी के पीछे भागने की कोशिश नहीं करनी पड़ती

    तुम्‍हारे पीछे और अपने से आगे कहीं

    मैं अपनी जगह पर सबसे आगे हूँ

    सबसे ऊपर हूँ

    क्‍योंकि दुनिया में जितना भी आगा-पीछा और ऊपर-नीचे है

    वह सब मेरे भीतर है

    स्रोत :
    • रचनाकार : नवीन रांगियाल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए द्वारा चयनित

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