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सुना जा सकता है

suna ja sakta hai

मलय

मलय

सुना जा सकता है

मलय

उस झरते पत्ते के

डंठल के पास की आँख को

छूती थी

उम्मीद की रेखा

बार-बार—

जिसे पेड़ ने

कभी भी

निराश नहीं किया

सूखते गिरने वाले पत्तों का एक पूरा संसार

कोंपलों की नोकों के

सपनों से

बार-बार छिदता है—

छिदता रहता है

और इन अनुभवों से

पेड़ की उम्र का

घेरा

बढ़ जाने को होता है, बढ़ जाता है

तब कुछ घनघनाता-सा है और

पेड़ हरा हो उठता है—

झरते पत्ते अपनी ख़ुशियों में

उड़ते हुए बिखर जाते हैं

यह हवा के रंग का आनंद भी

वसंत की

बजती सीटियों के बीच

सुना जा सकता है

स्रोत :
  • रचनाकार : मलय
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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