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उदास वीणा

udaas vina

रमेश प्रजापति

अन्य

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रमेश प्रजापति

उदास वीणा

रमेश प्रजापति

और अधिकरमेश प्रजापति

    जीवन के सारे बीहड़

    और हरहराते समुद्र को पार करते हुए

    सारे रिश्तों को छोड़ आया हूँ पीछे

    समय की धूल में पिटे

    एक नाव लहरों के बीच

    तलाश रही है संभावनाओं का किनारा

    एक नदी जीवन की शुष्कता को तोड़कर

    गीले कर रही हैं आँखों के किनारे

    बलखाती सड़क पर अचानक

    हाथ छुड़ाकर दूसरे छोर पर जाना

    डर भर गया जीवन की उमंगों में

    जिसकी कसक अभी भी बसी है मेरे भीतर

    जीवन के बुरे दिनों में

    गुनगुना रहा हूँ अच्छे दिनों का राग

    जीवन की कठोर चट्टान पर बैठा

    एक सपना कौंध रहा है अभी भी

    उजाड़ जंगलों में बबूल की चोटी पर

    झरबेरी के छोटे-छोटे फूलों में

    महक रही हैं बच्चों की इच्छाएँ

    हवा के हल्के छोंके से

    समय की राख़ में दबी स्मृतियाँ

    मेरी आत्मा में चिलकती हैं

    तुम्हारी कोमल उँगलियाँ

    झील के शाँत पानी में कर देती हैं हलचल

    तुम्हारे बिना

    झँकृत नहीं हो पा रहे साँसों के तार

    रूठे हुए हैं सब सुर

    उदास पड़ी है वीणा

    स्रोत :
    • रचनाकार : रमेश प्रजापति
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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