क़रीब चालीस की उम्र में

qarib chalis ki umr mein

चंडीदत्त शुक्ल

चंडीदत्त शुक्ल

क़रीब चालीस की उम्र में

चंडीदत्त शुक्ल

लोग कहते हैं—

उदास दिखना उदास होने से

ज़्यादा ख़राब समझा जाता है।

सो जाओ कि

रात बहुत गहरी है

और काली है।

सो जाओ कि

अब कोई उम्मीद नहीं जगाएगा

तुम्हारे मन के लिए।

सो जाओ कि

बंगाल से लेकर मद्रास तक

समुद्र का जल नाराज़ है तुमसे।

दिशाएँ पूछती हैं सनसनाकर हरदम :

क्यों हारे तुम

इतना प्रेम किया था क्यों?

सो जाओ कि

देश की किसी नायिका की आँख

तुम्हारे लिए गीली नहीं होने वाली।

सो जाओ कि

प्रेम एक घिसा-पिटा

दोहराए जाने को मजबूर शब्द भर है।

सो जाओ कि

गीली लकड़ी की तरह निरर्थक

जलावन है प्रेम।

निहायत दुख के वक़्त सिर्फ़

घुटन भरा धुआँ पैदा करेगा

प्रेम।

सो जाओ कि

एक और उदास दिन

तुम्हारी प्रतीक्षा में है।

प्रतीक्षा में है एक सुबह जिसमें

मशीन की तरह काम और निष्फल इच्छाएँ

तुम्हारा रास्ता ताकती होंगी।

सो जाओ कि

किसी और को सही

तुम्हें ख़ुद से एक झीना-सा लगाव तो है।

तुम अब भी प्रेम करते हो उस लड़के को

जो प्रेम करते वक़्त रोता था, हँसता था, खिलखिलाता था

और नंगे पैरों चूमता था हरी-हरी घास को।

सो जाओ कि कुछ और कविताएँ लिखना

उन्हें पढ़कर कुछ लोग रोएँगे और टूटेंगे और सिर धुनेंगे

कुछ तो राहत मिलेगी तुम्हें और उन्हें।

सो जाओ कि निराशा से लबालब

इस कविता के बाद सकारात्मक जीवन के लिए

कुछ भाषण तुम्हें तैयार करने होंगे।

सो जाओ कि

अब तुम प्रेम में होते हुए भी

प्रेम में नहीं हो।

सो जाओ

क्योंकि ख़ुदकुशियों से भी

कुछ भला नहीं होता।

सो जाओ क्योंकि ज़्यादा जागने

और बहुत रोने से

दिन भर आँख रहेगी लाल।

क़रीब चालीस की उम्र में

लोग कहते हैं—उदास दिखना उदास होने से

ज़्यादा ख़राब समझा जाता है।

स्रोत :
  • रचनाकार : चंडीदत्त शुक्ल
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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