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नींद पर कविताएँ

नींद चेतन क्रियाओं के

विश्राम की नित्यप्रति की अवस्था है। प्रस्तुत चयन में नींद के अवलंब से अपनी बात कहती कविताओं का संकलन किया गया है।

प्रेम के आस-पास

अमर दलपुरा

उठ जाग मुसाफ़िर

वंशीधर शुक्ल

नींद में रुदन

सविता सिंह

सोने से पहले

मंगलेश डबराल

?

गगन गिल

बुरे समय में नींद

रामाज्ञा शशिधर

चाँदनी की पाँच परतें

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

रात्रि-गीत

ओक्ताविओ पाज़

थकन

सारुल बागला

शोर

प्रदीप अवस्थी

रात

मानव कौल

सो जाओ

मिक्लोश राद्नोती

आज रात बारिश

सविता भार्गव

चाँदनी रात में रेल यात्रा

सीताकांत महापात्र

नींद

गुंटर कुनेर्ट

मुझे था मालूम

अन्ना अख्मातोवा

दुपहर

हो चि मिन्ह

टूटा हुआ दरवाज़ा

यानिस रित्सोस

इनसोम्निया

प्रदीप अवस्थी

मुझे नींद नहीं आती

कैलाश वाजपेयी

अकेला नहीं सोया

कृष्ण कल्पित

नींद में

विष्णु खरे

मौत के मुखौटे से

हेनरिक नॉर्डब्रांट

तलाशी

गीत चतुर्वेदी

रात-भर न सो पाने के बाद

मारीना त्स्वेतायेवा

यक़ीन

अमिताभ

हमारी नींद

वीरेन डंगवाल

घोषणा

अरुण कमल

नींद के रहस्य

मोनिका कुमार

पुराना तकिया

विजया सिंह

मौत का आना-जाना

शाम्भवी तिवारी

नींद के बारे में

लवली गोस्वामी

अनचाहा मैं

लीलाधर जगूड़ी

नींद

प्रकाश

उखड़ी हुई नींद

गिरधर राठी

नींद में

वसु गंधर्व

नींद! आ!!

जयाप्रभा

नींद

मानव कौल

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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