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सोना

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मौलश्री कुलकर्णी

अन्य

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और अधिकमौलश्री कुलकर्णी

    सोना,

    सबसे पहले सबसे ज़रूरी बात

    मुझे बेइंतेहा इश्क़ है तुमसे

    हमेशा था

    हमेशा रहेगा…

    यह कहना सबसे ज़रूरी इसलिए है क्योंकि

    इसके बाद कि हर बात बस इसी एक बात से सुलझती है

    सोना, मैं बहुत याद करती हूँ तुमको,

    जब हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर रात भर,

    चाँद को देखा करते हैं,

    तुम अपनी उँगलियों से मेरे बदन पर

    नक़्क़ाशियाँ उकेरते रहते हो,

    मेरे बदन के सारे छोटे-छोटे फ़्रेकल्स,

    तुम गिन-गिन कर चूमा करते हो

    मैं बहुत याद करती हूँ तुमको,

    जब नाइट लैम्प बुझाने आए तुम

    मेरी अधखुली किताब बंद कर किनारे रख देते हो

    मेरी अधमुँदी आँखों पर

    अपने दुलार का बोसा छोड़ जाते हो

    मैं बहुत याद करती हूँ तुमको,

    जब तुम मेरे ग़ुस्से में भी

    मुझे हँसा देते हो,

    गुदगुदाते हो

    उठा तो नहीं पाते मुझे गोद में लेकिन फिर भी

    कोशिशें बेइंतिहा बार-बार करते हो

    मैं तुम्हें हर पल बेहद चाहती हूँ

    अनहद याद करती हूँ,

    मगर सोना,

    मैं अब ख़ुद को तुमसे वापस चाहती हूँ

    तुम्हारी आँखों, तुम्हारी यादों,

    तुम्हारी साँसों से बँधकर,

    मैंने यह पूरी उम्र तन्हा गुज़ारी है

    मुझे नहीं चाहिए वापस हमारे प्यार के वे लम्हे

    हमारी उम्र के वे हिस्से,

    वे पल...

    उन्हें वहीं पर ठहरा रहने दो

    मैं जाना चाहती हूँ

    सोना, मुझे बेइंति हा मुहब्बत है तुमसे

    लेकिन तुम्हारी हर निशानी

    यहीं इसी घर में छोड़कर,

    बस तुम्हारी दो जोड़ी यादें भर लिए

    मैं अब यहाँ से जाना चाहती हूँ

    स्रोत :
    • रचनाकार : मौलश्री कुलकर्णी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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