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समय बदला पर...

samay badla par

तुषार धवल

तुषार धवल

समय बदला पर...

तुषार धवल

यह ताक़तवरों के हमलावर होने का समय है

और निशाना इस बार सिर पर नहीं

सोच पर है

मैं हमलों से घिरी हुई ज़ुबान का

कवि हूँ जिसके

पन्नों से घाव रिसते हैं

मेरी सोच का वर्तमान

अपनी ज़मीन पर अजनबी होकर

अनजानी सरहदों में खो गया है

उधार की भाषा नहीं समझ पाती है मेरी बात

सदी दर सदी

वे मारते ही जाते हैं

अलग-अलग तरीक़ों से मुझे

अपनी मुट्ठी में जकड़ लेना चाहते हैं

मेरा आकाश।

जिन्हें मिट जाने का भय है

उनकी प्यासी देवी

मेरी बलि माँगती है हर बार।

मैं थकता हूँ

वे

और यह खेल खेलते हुए हम

पिछली सदियों से निकल आए हैं

इस सदी में

समय बदला पर

जीने की जिद्दी ज़ुबाँ बदली

ताक़त के तरीक़े...

स्रोत :
  • रचनाकार : तुषार धवल
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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