हाशिए के लोग

hashiye ke log

जावेद आलम ख़ान

जावेद आलम ख़ान

हाशिए के लोग

जावेद आलम ख़ान

हम सूक्तियों में जीवन तलाशने वाले लोग

कभी व्याख्याओं में व्यक्त नहीं हो सके

हम तत्सम की गरिमा से निष्कासित

देशज बस्ती के बदतमीज़ बाशिंदे कहलाए

हमारा जीवन मुहावरों का क़र्ज़दार है

मनुष्यता के रजिस्टर से बेदख़ल होकर

हमारा नाम जाति के कोष्ठक में दर्ज हुआ

हमने चाक पर घड़े बनाए जिनमें ऋषि जन्मे

ऋषि ने समुद्र पिया और हम पानी से वंचित हुए

ऋषि ने व्यवस्था बनाई और हम बहिष्कृत हुए

हमारे घड़े उनके सर पर रहे और हम पददलित हुए

हमने गंदगी साफ़ की और गंदे कहलाए

हवा में ख़ुशबू बिखेरने के लिए हमने फूल खिलाए

और ख़ुद अपनी चमड़ी को बच्चों की बिवाइयों पर सिलकर

दुर्गंध को समेटे धरती में खाद बनकर दब गए

हमें समझाया गया कि दुनिया में सिर्फ़ हम मुकम्मल ईमान हैं

एक सफ़ में नमाज़ पढ़ना हमारी पहचान है

हमारी उम्मत अशरफ़ुल इंसान है

हमें ईमान में एक मस्जिद में एक बताकर

बाहर जुलाहे, दर्ज़ी और कसाइयों में बाँटा गया

हमें रोटी खिलाकर बेटी से वंचित किया गया

हम अलग-अलग अक्षरों की एक ही लिपि थे

असल में हम ही अनेकता में एकता की असली तस्वीर थे

हद दर्जे की कायरता छिपाए जलसे में उमड़ी धार्मिक भीड़ थे

हमारे सुख अलग-अलग थे मगर दुख एक

हमारे सपने अलग-अलग थे मगर डर एक

हमारे दोस्त साधारण थे और दुश्मन अनोखे

जिनके शरीर अलग-अलग थे

मगर हर शरीर पर एक ही चेहरा था

उसकी आँखों में ख़ून था रगों में पानी था

विदेशी शराब-सा लाल

क्रूरता की हद तक ख़ानदानी था

स्रोत :
  • रचनाकार : जावेद आलम ख़ान
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY