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पाखंड पर कविताएँ

इस चयन में प्रस्तुत

कविताओं का ज़ोर पाखंडों के पर्दाफ़ाश पर है। ये कविताएँ पाखंड को खंड-खंड करने का ज़रूरी उत्तरदायित्व वहन कर रही हैं।

हाशिए के लोग

जावेद आलम ख़ान

मुखौटे

आशीष त्रिपाठी

कचरा

निखिल आनंद गिरि

समझदारों का गीत

गोरख पांडेय

शीर्षकहीन

जितेंद्र कुमार

फ़क़ीर

अजेय

गंगा-जल

बच्चा लाल 'उन्मेष'

कुछ लोग

नरेश सक्सेना

दीदी

प्रमोद कुमार तिवारी

आस-उपवास

विशाखा मुलमुले

अंडा-करी और आस्था

दामिनी यादव

किधर से चढ़ेंगे आप?

राजकमल चौधरी

दाढ़ी में आग

रेखा चमोली

राहत का गुरु योग

मुसाफ़िर बैठा

ईश्वर

आलोक आज़ाद

श्याम-पट

मनीष कुमार यादव

मूर्खता

विनय विश्वास

सिद्धपुरुष

दफ़ैरून

कील

दफ़ैरून

सत्य-असत्य

वाज़दा ख़ान

निर्मोही साधु

बच्चा लाल 'उन्मेष'

समुद्र-मंथन

शरद बिलाैरे

ओझौती जारी है

विहाग वैभव

सहमति की कविता

नीलाभ अश्क

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere