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पियानो

piyano

डी. एच. लॉरेंस

अन्य

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और अधिकडी. एच. लॉरेंस

     

    गा रही है मेरे लिए गोधूलि में
    एक तरुणी है

    वर्षों पीछे की संकरी घाटियों में ले जाती है मुझे
    जब तक देख पाऊँ
    पियानो के नीचे
    बजते हुए तारों के पास बैठा एक बच्चा
    और दबा रहा हो एक माँ के
    छोट कोमल पाँव
    जो मुस्कराती है गाते हुए।

    आत्म सजग होते हुए भी गीत का प्रभावोत्पक छल
    कपटपूर्णता से ले आता है मुझे वर्तमान में
    जबकि मेरा अंतरंग सिसकता है।
    पुरानी इतवार की शाम का हो चुका है हृदय उस घर में
    साथ में बाहर शिशिर है
    और कोने के पूजा स्थान में मंत्रोच्चार
    गुंजरित वाद्य है हमारा प्रदर्शक।

    तो अब बेशक गायिका ऊँची आवाज़ में
    बड़े काले पियानो को उत्तेजित करती है। मुझ पर
    बालपन का जादू चढ़ा है
    मेरी मर्दानी उम्र स्मृति की बाढ़ में
    तिरोहित हो गई।
    एक बच्चे की तरह रोता हूँ मैं
    अतीत के लिए। 

          
    स्रोत :
    • पुस्तक : डी. एच. लॉरेंस की कविताएँ (पृष्ठ 24)
    • रचनाकार : डी. एच. लॉरेंस
    • प्रकाशन : समकालीन प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1980

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