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अतीत पर कविताएँ

अतीत का अभिप्राय है

भूतकाल, व्यतीत, बीत चुका समय, जिसका अस्तित्व या सत्ता समाप्त हो चुकी। प्रस्तुत चयन में अतीत के विभिन्न रंगों, धूप-छाया का प्रसंग लेती कविताओं का संकलन किया गया है।

पुराने दोस्त

शैलेंद्र साहू

मेज़

गिरिराज किराडू

सर्दी

रमेश क्षितिज

जब हेलेन जीती थी

विलियम बटलर येट्स

पुरानी चिट्ठियांँ

फैदोर त्यूतशेव

पियानो

डी. एच. लॉरेंस

कमरा

बोरीस पस्तेरनाक

झलक

अलेक्सांद्र ब्लोक

घर की याद

मारीना त्स्वेतायेवा

बूढ़ा मछुआरा

यानिस रित्सोस

एक थी हीर

सुतिंदर सिंह नूर

खूँटे से बँधे हुए

रामकृष्ण झा ‘किसुन’

व्यतीत

प्रकाश

बाबिय् यार

येव्गेनी येव्तुशेंको

जब मैं नदी था

आदित्य शुक्ल

वर्तमान है वह

संजीव गुप्त

स्वत्व

जगन्नाथ प्रसाद दास

आउट स्विंग

संजय राय

बीतना

शालिनी सिंह

पहले जैसा

अनिल त्रिपाठी

अतीत का वर्तमान

गोबिंद प्रसाद

अतीत

गंगा प्रसाद विमल

रहस्य-17

सोमेश शुक्ल

चिकनी फिसलन भरी

सुरेश सलिल

काल-दर्शन

रामनिवास जाजू

अनासक्ति

जगदीश चतुर्वेदी

बीतना

प्रतिभा कटियार

अतीत

अरुण शीतांश

परछाईं की तरह

वंदना पराशर

मधुस्रोत-2

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

मधुस्रोत-1

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere