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धड़कन की धुन में

dhaDkan ki dhun mein

मलय

अन्य

अन्य

मलय

धड़कन की धुन में

मलय

और अधिकमलय

    हम में दिखने वाला

    बाहर भीतर से जुड़कर

    चुप्पा गरजने वाला

    एक बड़ा समुद्र है

    जहाँ सुख को घेरकर

    डुबो दिया जाता है

    दु:ख के हज़ारों जहाज़

    तैरते हुए भी

    छाती पर लंगर ठोककर

    खड़े रहते हैं

    अपनी धमधमाती धाक को

    फहराते हुए

    शायद यह किनारा है

    जहाँ साथ-साथ में हम जी-तोड़ ठहाकों से

    बड़ी-बड़ी चौड़ी लहरों से

    उछल पड़ते हैं

    उनसे, हाथों की मुट्ठियों में पकड़कर

    खींच लाने को एक-एक साँस

    फिर यह गई-गुज़री ज़िंदगी ही रही

    जो एक-एक साँस बढ़ती चली है,

    लेकिन अक्सर अपने से ही

    अपनी साँसों के बीच से ही

    पैदा होता है

    कोई बेपरवाह

    उन्नत सिर वाला

    जो दो टूक प्रवेश करते ही

    उजेला हो जाता है

    मौत को बार-बार धमकाता है

    उठता ही चला जाता है

    दूर-दूर तक इतना

    कि आँखें पीछा नहीं कर पातीं

    केवल,

    उसको धड़कन की धुन में उतारा जा सकता है

    और दु:ख के पहाड़-से

    जहाज़ों को भी

    धकियाकर जिया जा सकता है

    और धक्कों से घायल-घायल

    रहने के बावजूद

    आने वाले कल को पुकारकर और कहकर

    कुछ किया जा सकता है

    स्रोत :
    • रचनाकार : मलय
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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