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साँस पर कविताएँ

साँस संस्कृत शब्द ‘श्वास’

का प्रचलित हिंदी रूप है, जिसका अर्थ प्राणवायु का आवागमन या श्वसन की क्रिया है। साँस जीवन-मृत्यु के बीच का पुल है। भाषा ने इसके महत्त्व को श्वास-विषयक मुहावरों के विविध प्रयोगों के रूप में दर्ज किया है; जहाँ जीवन-मृत्यु के अतिरिक्त संकोच, विकलता, अवकाश, गुँजाइश जैसे कई अभिप्रायों की उत्पत्ति होती है। प्रस्तुत चयन में साँस को विषय बनाती कविताओं का संकलन किया गया है।

नेरुदा की मृत्यु पर

एलेन गिन्सबर्ग

भाष्य

गोविंद द्विवेदी

हिसाब

प्रकाश

आख़िरी साँस

गीत चतुर्वेदी

फ़रेब हैं आँखें

अदिति शर्मा

रोज़ शाम

पंकज चतुर्वेदी

शब्द कह नहीं पाएँगे

पंकज चतुर्वेदी

हवा महल: एक

प्रेमा झा

अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह

अपूर्वा श्रीवास्तव

आवागमन

दिलीप शाक्य

कन्हई कहार

रमाशंकर यादव विद्रोही

नीचे उतरते समय

गौतम कुमार

परिदृश्य

विजय बहादुर सिंह

शवासन

हरि मृदुल

कुछ और सपने

आंशी अग्निहोत्री

आइसोलेशन, एक कमरा

सौम्या सुमन

समय की गवाही

धीरेंद्र धवल

श्वास पर आयु के पहरे

अजीत रायज़ादा

साँसें

प्रयागनारायण त्रिपाठी

कमी

हरीश मंगलम्

नदी की चिंता मत करो

योगेश कुमार ध्यानी

कापालिक प्रिया

जगदीश चतुर्वेदी

नहीं

कन्हैयालाल सेठिया

लॉकडाउन

मीना प्रजापति

छवि

पूर्वांशी

मेरी साँस

अमृत रंजन

साथ

मंगेश पाडगाँवकर

इस तरफ़

पूर्वांशी

तुम्हारी बात

पूर्वांशी

घुटती साँस

राकेश कबीर

तेरी नफ़स में वह बात नहीं

राहुल कुमार बोयल

सराय

निधीश त्यागी

भाव शून्यता

वाज़दा ख़ान

थोड़ा नमक

द्वारिका उनियाल

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere