Font by Mehr Nastaliq Web

निर्वासन

nirwasan

राहुल राजेश

अन्य

अन्य

राहुल राजेश

निर्वासन

राहुल राजेश

और अधिकराहुल राजेश

    प्रेम में जितना रोमांटिक हुआ जा सकता था, हुआ

    प्रेम में जितना बहका जा सकता था, बहका

    प्रेम में जितना बहा जा सकता था, बहा

    प्रेम में जितना तड़पा जा सकता था, तड़पा

    प्रेम में जितना जला जा सकता था, जला

    प्रेम में जितना गला जा सकता था, गला

    प्रेम में जितना सहा जा सकता था, सहा

    प्रेम में जितना रहा जा सकता था, रहा

    अब और नहीं

    यह प्रेम के पकने का समय है

    यह प्रेम के मिट्टी में गहरे धँसने का समय है

    यह प्रेम के कपास के फूल में बदलने का समय है

    यह प्रेम के बादल बनकर बरसने का समय है

    यह प्रेम के कस्तूरी बन जाने का समय है

    अभी इसे यहीं छोड़ दो...

    स्रोत :
    • रचनाकार : राहुल राजेश
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए