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नींद में

neend mein

वसु गंधर्व

अन्य

अन्य

वसु गंधर्व

नींद में

वसु गंधर्व

और अधिकवसु गंधर्व

    नींद में कटते हैं हाथ

    नींद में थामता हूँ बार-बार वह

    जो नींद के बाहर फिसलकर

    गिर जाता है हर बार

    नींद में किया प्रेम

    आख़िर जागने पर

    आस्वादन के कितने रंगों से भर सकेगा

    आकाश को

    नींद में मृत्यु

    कितना पाट पाएगी

    रोज़मर्रा की निर्विकार निस्संगता

    नींद में स्मृति

    कितनी दूर झाँकेगी अंधकार में

    पुरानी अनावश्यकताओं को टोहती

    नींद से बाहर एक दूसरी नींद में ढुलकते हम

    खोजते हैं पिताओं के, दोस्तों के, प्रेमिकाओं के

    पसीने से अटे हाथ

    नींद से बाहर

    नींद में गिरते हम होते हैं

    इतने भरे जितनी वर्षा की बूँदें

    और इतने ख़ाली

    जितना पीछे छूट गए बादलों का अनुनाद।

    स्रोत :
    • रचनाकार : वसु गंधर्व
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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