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संसार का अंतिम प्रेमी

sansar ka antim premi

अम्बर पांडेय

अन्य

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अम्बर पांडेय

संसार का अंतिम प्रेमी

अम्बर पांडेय

और अधिकअम्बर पांडेय

    पत्नी की चिता दाघ देने के पश्चात् वह श्मशान में ही रह गया। गया नहीं घर। संसार श्मशान उसके लिए एक ही थे दोनों। सूतक निवारण हेतु स्नान को ढिग बहती नर्मदा तक नहीं गया वह। कपाल-क्रिया पूर्व मुंडन के पश्चात् शीश धोने के लिए भरा मटका रखा रहता है, उसका जल पी, चिताओं के धूम में पकते बेर खाकर, अस्थि की पोटलियों का तकिया कर जीवन किया।

    वाचस्पति मिश्र की भामती की भाँति सुशील थी उसकी गृहिणी। पिता तो आए नहीं कभी। माँ, बुआ और बहनें आती थीं ले जाने को घर, दूर से रोती, टेरती। जीवन तो जीवन का उद्देश्य नहीं। प्रेम, धर्म, विचार, परमार्थ, पर-हित के लिए जीवन है। प्रेम के लिए मरना उसे था प्रेय। किसी को पता पड़ा, वह कब मरा!

    क्यों प्रोफ़ेसर, क्या वह अम्बर पांडेय था?

    स्रोत :
    • रचनाकार : अम्बर पांडेय
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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