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लैपाकलै

laipakalai

लमाबम कमल सिंह

अन्य

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और अधिकलमाबम कमल सिंह

    लघुपद विकसित घास में, निर्जन में खिलता सामर्थ्यवान

    झेलता धूप कालेन की, सहता इङा की वर्षा

    सामना करता इडेन के ओलों का, शजिबु की तीव्र वायु का

    पहचान सकता कोई स्वभाव, देख बाह्याकृति भर?

    कोमल पत्ते रक्षा करते बारिश से इङा की!

    कोमल पँखुड़ियाँ बेध डालतीं कठोर भूमि!

    लघु तना सहन करता शजिबु की हवा!

    चाहता वृक्षों का सहारा, भय कुचले जाने का

    जीता आत्मिक साहस के बल लैपाकलै;

    हे युवक-जन! निर्बल समझ करना अवहेलना।

    1. लैपाकलै : श्वेत-बैंगनी रंग का एक पुष्प, जो किसी डाली पर नहीं खिलता। इसका कोमल तना कठोर भूमि का वक्ष बेध पँखुड़ियों के साथ स्वतंत्र रूप से उगता है। पुष्प की आयु पूर्ण होने पर गहरे हरे रंग के बड़े-बड़े पत्ते निकलते हैं

    2. कालेन : मणिपुरी वर्ष का दूसरा माह

    3. इङा : मणिपुरी वर्ष का तीसरा माह

    4. इडेन : मणिपुरी वर्ष का चौथा माह

    5. शजिबु : मणिपुरी वर्ष का पहला माह।

    स्रोत :
    • पुस्तक : कमल : संपूर्ण रचनाएँ (पृष्ठ 54)
    • संपादक : देवराज
    • रचनाकार : कमल
    • प्रकाशन : राधाकृष्ण प्रकाशन
    • संस्करण : 2006

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