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लहू में लोहा

lahu mein loha

कुमार कृष्ण शर्मा

अन्य

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कुमार कृष्ण शर्मा

लहू में लोहा

कुमार कृष्ण शर्मा

और अधिककुमार कृष्ण शर्मा

     

    'माँ ने जी जुड़दा त्रकला, पुत्तर बरछियाँ गडांदे'1
    क्या इसका मतलब यह है 
    जिन माताओं को
    'त्रकले' तक का लोहा नहीं जुड़ पाता है
    उनके बेटों को भाले बरछे नहीं बनाने चाहिए

    क्या वे बेटे ही
    तलवार बरछे बना सकते हैं
    जिनकी माताओं के घर
    बहुत सारा लोहा है

    इतिहास का क्या करें
    इतिहास गवाह है
    उन्हीं बेटों के हथियारों के निशाने
    सही जगह लगे हैं
    जिनकी माताओं के पास
    'त्रकले' तक का लोहा नहीं था।

    ऐसी माताएँ
    जुटा ही लेती हैं
    अपने विचारों के साथ 
    लहू में इतना लोहा
    जिनसे उनके बेटे
    बना सकें ऐसे हथियार
    जो साध लेते हैं निशाना
    हमेशा
    निर्भीक हो कर।

    स्रोत :
    • रचनाकार : कुमार कृष्ण शर्मा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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