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कलावती से पूछ कर

kalawati se poochh kar

मलयज

मलयज

कलावती से पूछ कर

मलयज

कलावती से पूछ कर

सत्यनारायण जी ने कहा कल कराना कथा

परसों जो मकान मिलेगा उसमें

यथा संभव

निज सामर्थ्य

तथा...

फ़ुर्सत के वक़्त सोचूँगा शेष

बहुत सी बातें हैं

बातों-बातों में वक़्त निकल जाता है

और अब तो जनतंत्र का युग है

हर मकान की अपनी एक कथा है

क़िस्तों में चुकाता हूँ वह मकान, हत्तुल इमकान

एक साथ चुकना नहीं चाहता

कथा में भी लिखा है

अब चूक चौहान

हानि कुछ भी नहीं

उसमें

जो नित-नित मुश्किल होता जाता है

फ़ायदे की संभावना चीज़ों को आसान

बना देती है

जैसे बिना कविता के कविता-संग्रह।

स्रोत :
  • पुस्तक : ज़ख़्म पर धूल (पृष्ठ 42)
  • रचनाकार : मलयज
  • प्रकाशन : रचना प्रकाशन
  • संस्करण : 1971

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