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जहाँ कोई दोस्त नहीं हो

jahan koi dost nahin ho

सुरेंद्र स्निग्ध

अन्य

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सुरेंद्र स्निग्ध

जहाँ कोई दोस्त नहीं हो

सुरेंद्र स्निग्ध

और अधिकसुरेंद्र स्निग्ध

    क्या रहना ऐसी जगह

    जहाँ कोई दोस्त नहीं हो

    नहीं हो कोई हालचाल पूछने वाला

    ऐसी जगह क्या रहना

    जहाँ दुख की घड़ियों में

    कोई प्यार से सर सहला दे

    बीमारी की हालत में

    गर्म कलाई अपने हाथ में ले ले

    ख़ुशियों के क्षणों में

    अपनों की आँखें

    नन्हें पंछियों की तरह

    पर फैलाने लगें

    क्या रहना ऐसी जगह

    जहाँ कोई मित्र यह नहीं पूछे

    आपके किचन में आज क्या बन रहा है?

    दूध नहीं है?

    कोई बात नहीं

    भाभी को कहिए

    नींबू की चाय ही पिलाएँ

    ऐसी जगह क्या रहना

    जहाँ के लोग कुछ भी मतलब नहीं रखते

    कि अन्याय के ख़िलाफ़

    लड़ने वाली जुझारू जनता

    कहाँ मर-कट रही है

    कहाँ कर रही है विकसित

    अपना संघर्ष

    क्या रहना ऐसी जगह।

    स्रोत :
    • रचनाकार : सुरेंद्र स्निग्ध
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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