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मेरा प्रेम मेरे हृदय में वास नहीं करता

mera prem mere hriday mein vaas nahin karta

अनुवाद : सुरेश सलिल

माइकेल ऐंजेलो

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माइकेल ऐंजेलो

मेरा प्रेम मेरे हृदय में वास नहीं करता

माइकेल ऐंजेलो

और अधिकमाइकेल ऐंजेलो

    मेरा प्रेम मेरे हृदय में वास नहीं करता,

    जिस अनुभूति से मैं तुम्हें प्रेम करता हूँ,

    वैसी प्रेमानुभूति नहीं पाई जा सकती कभी

    किसी भी ऐसी वस्तु में

    जो नाशवान है

    भरी हुई चूकों से, गर्हित विचारों से।

    ईश्वर से हम तक प्रेषित करते हुए हमारी आत्माएँ

    प्रेम ने दी मुझे एक निर्मल आँख

    और तुम्हें प्रकाश और दीप्ति,

    इसीलिए मेरी महदाकांक्षा ईश्वर के सिवा

    और कुछ नहीं देख सकती तुम्हारी उस देह में,

    दुर्भाग्यवश, जो नाशवान है,

    आग से ताप को अलगा सकने से बढ़ कर

    अब और अलगाया नहीं जा सकता स्वयं मेरी प्रज्ञा को,

    जो भी कोई सर्वाधिक समरूप है उसके

    जिससे वह आई,

    बढ़ती मनाती है उसकी वह,

    तुम्हारी आँखों में चूँकि स्वर्ग है सर्वांगसंपूर्ण

    जहाँ तुम्हें प्रेम किया था पहले-पहल मैंने

    वापस लौटने को वहाँ

    फिर से पाने को, स्वयं को,

    तुम्हारी आँखों की छाँव में

    तेज़, और तेज़तर करता हूँ मैं

    अपना जलना

    स्रोत :
    • पुस्तक : सूखी नदी पर ख़ाली नाव (पृष्ठ 416)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : माइकेल ऐंजेलो
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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