Font by Mehr Nastaliq Web

ईश्वर तुम आत्महत्या कर लो

ishwar tum atmahatya kar lo

रुचि बहुगुणा उनियाल

अन्य

अन्य

रुचि बहुगुणा उनियाल

ईश्वर तुम आत्महत्या कर लो

रुचि बहुगुणा उनियाल

और अधिकरुचि बहुगुणा उनियाल

    ईश्वर तुम आत्महत्या कर लो अब

    सही वक़्त पर तुम्हारे अस्तित्व का

    समाप्त हो जाना ही अच्छा है

    अपने झूठे मुखौटे को हटाओ

    और कर लो स्वीकार

    कि सिसकते हो तुम भी!

    यदि यह दुनिया तुम्हारे लिए खेल है

    तो तुम्हें नहीं लगता?

    कि खेल एकतरफ़ा होता जा रहा है

    कि कमज़ोर के आँसुओं से अब

    तुम्हारी सत्ता डिगने की कगार पर है?

    इससे पहले कि कमज़ोर...

    जिसकी प्रार्थनाएँ तुम्हारे वजूद को बचाए हुए हैं

    उतार दे तुम्हें सिंहासन से तंग आकर

    नकार दे तुम्हारा ईश्वर होना

    उजाड़ दे तुम्हारे बड़े-बड़े मंदिरों का अस्तित्व

    और तुम्हारी ईश्वर होने की नौकरी से तुम्हें बेदख़ल कर दे

    तुम आत्महत्या कर लो!

    सुना है कि तुम्हें धरती पर

    सबसे अधिक प्रिय बच्चों की मुस्कानें हैं

    कि चिड़ियों की चहचहाहट तुम्हारा संगीत है

    कि तुम तितली के पंखों के रंग से करते हो शृंगार

    कि तुम प्रेम की भाषा समझते हो

    तो क्यों नहीं देते सज़ा?

    उन्हें जो बच्चों का बचपन उजाड़ देते हैं

    जो चिड़ियों के पंख कतर देते हैं

    जो तितलियों के रंगीन परों को मसल देते हैं

    जो भय, नफ़रत, हथियारों की भाषा सीखा रहे हैं!

    बुढ़ा गए हो तुम ईश्वर

    अब तुम घर के बाहर देहरी पर बैठे

    बुज़ुर्ग माँ-बाप की तरह लाचार हो

    जिसे कभी भी उनकी संतानें

    भेज सकती हैं वृद्धाश्रम!

    तुम झूठी हँसी के पीछे ठीक वैसे ही

    छुपा रहे हो अपने आँसू

    जैसे कोई कलाकार अपने चेहरे पर

    पोत लेता है कई परतें शृंगार की!

    असल में ये दुनिया अब वैसी रह नहीं गई

    जैसी तुमने बनाई थी

    इसलिए...

    कमज़ोर बेबस तुम्हारे वज़ूद को

    नकार दे उसके पहले

    तुम आत्महत्या कर लो ईश्वर!

    स्रोत :
    • रचनाकार : रुचि बहुगुणा उनियाल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए