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दिल्ली में

dilli mein

अमिताभ

अन्य

अन्य

अमिताभ

दिल्ली में

अमिताभ

और अधिकअमिताभ

    मैं अभी निकलूँगा बाहर

    और चुप हो जाऊँगा

    दिल्ली की विराट संपदा आँखों में

    आत्मा में उतर आएगी

    इतना संगेमरमर इतनी रोशनी

    इतने मकान इतने दरख़्त

    चुप्पी बनकर ख़ून में उतर जाएँगे

    ये तरक़्क़ी मुझे चुप कर देगी

    थोड़ी शराब जाएगी अंदर

    और मैं खिलखिलाने लगूँगा

    सबसे अंत में

    जाने क्यों

    इस शहर की तरक़्क़ी से आहत मैं

    कुछ गुनहगार लाचार-सा महसूस करूँगा

    मैं अभी बाहर निकलूँगा

    और चुप हो जाऊँगा

    स्रोत :
    • पुस्तक : समस्तीपुर और अन्य कविताएँ (पृष्ठ 265)
    • रचनाकार : अमिताभ
    • प्रकाशन : निबंध प्रकाशन
    • संस्करण : 2023

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