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बेगमपुरा एक्सप्रेस

begamapura express

बद्री नारायण

अन्य

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बद्री नारायण

बेगमपुरा एक्सप्रेस

बद्री नारायण

और अधिकबद्री नारायण

    अमरपुर से बेगमपुरा तक

    चलती है एक ट्रेन

    बेगमपुरा एक्सप्रेस

    सुबह पाँच दस पर

    बिल्कुल ब्रह्मबेला में।

    टिकट काउंटर पर बैठा है क्लर्क टिकट लेकर

    कहते हैं कि पैसे से मिल जाता है सब कुछ

    पर लोग हाथ में ले खड़े हैं पैसे, रुपए एटीएम कार्ड

    टिकट बाबू फिर भी उन्हें टिकट नहीं देता

    क़त्ली, ख़ूनी, बलात्कारी,

    बेईमान, चालू, फ़्रॉड लंपट,

    हिंसक, झूठ, वबाली,

    सुल्तान, साहेब, मालिक

    इन सबको नहीं मिलेगा टिकट

    दंभी कवि, सत्ता के बौद्धिक

    सब खड़े रह जाएँगे और नहीं मिलेगी

    उन्हें इस ट्रेन की टिकट

    टिकट बाबू अगर इन्हें बेचना भी चाहेगा

    तो उसके हाथ बेकार हो जाएँगे

    जो ढाई आखर जानता होगा

    वही बेचेगा टिकट

    जो ढाई आखर जानता होगा

    वही पाएगा टिकट

    लहरों से होकर आए तारों को

    कोमल मन सुकुमारों को

    सराय के मालिकों को तो नहीं

    पर सराय में रुकने वालों को

    मिल जाएगी टिकट

    टिकट बाबू सोना ले लो, चाँदी ले तो

    मुहरें और मोती ले लो

    पर दे दो मुझे टिकट

    कई दशकों से मैंने कोई यात्रा नहीं की है

    मैं जाना चाहता हूँ

    बेगमपुरा

    ट्रेन खुलने लगी है, हरे पंछी पेड़ से उड़ने लगे हैं

    ट्रेन में घाना बैठे हैं

    पीपा बैठे हैं

    बैठे हैं सेना नाई

    ट्रेन खुलने लगी है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : तुमड़ी के शब्द (पृष्ठ 27)
    • रचनाकार : बद्री नारायण
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2019

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