अपना प्रेम बताने की कोशिश कभी मत करो

apna prem batane ki koshish kabhi mat karo

अनुवाद : मदन सोनी

जॉन एशबेरी

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अपना प्रेम बताने की कोशिश कभी मत करो

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    बहुत से रंग तुम्हें ले जाएँगे अपने में
    लेकिन अब मैं चाहता हूँ कोई बताए किस तरह जाऊँ घर।
    पीछे छूटी राह में है रंगबिरंगी और एक छलनी
    छायादार जगह। वह वहाँ की है जहाँ वह जा रही है
     
    वहाँ की नहीं जहाँ वह है। फूल अब बोलते नहीं इदा से।
    सिर्फ़ फूलों की भाषा बोलते हैं वे
    कुछ इस तरह कहते हुए, वहाँ पहुँचने कितनी कठिन कोशिश की मैंने।
    यही इसका अर्थ होना चाहिए मैं यहाँ अब तक नहीं हूँ। लेकिन तुम,
    तुम दीखते हो इस क़दर औपचारिक, इस क़दर गंभीर। तुम पढ़ नहीं सकते कविता
    न वह तरीक़ा जिससे वे सिखाते थे हमें पहले स्कूल में।
     
    मर्म पर लौटना तब ख़ास बात होती थी हमेशा।
    कभी भी क्या हम छोड़ सके इसे? मुझे नहीं लगता। यह था हमारा उत्तरी ध्रुव।
    हम छुपे रहे और भूखे बने रहे बरसों, और अब
    स्तब्ध कीड़ों की तरह छूकर गुज़रते हुए उजली हवाओं को,
    तुम फिर वापस हो रास्ते पर, राह जो बढ़ती है
    उत्साह से ऊँचाइयों की ओर, पार करती साफ़ और समझदार अंतराल।
    वे अब नहीं गढ़ते आश्रय हमारी तरह।
     
    और थामे हुए वह तंतु जो जाले-सा महीन लेकिन मज़बूत है किस क़दर
    हममें से हर एक बढ़ता चला जाता है अपनी ही भूल-भुलैया में।
    अदृश्यता का उपहार
    देवताओं के अलावा सभी को हासिल, इसीलिए हम कहते हैं ये बातें,
    भरते हुए रास्तों को रंगों से चेहरों से,
    मधुर उच्चारों से, जब तक वे हमें सत्य में झोंक नहीं देते।
     
    स्रोत :
    • पुस्तक : पुनर्वसु (पृष्ठ 185)
    • संपादक : अशोक वाजपेयी
    • रचनाकार : जॉन एशबेरी
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1989
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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