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अम्मा धनिया काट रही है

amma dhaniya kaat rahi hai

यश मालवीय

अन्य

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यश मालवीय

अम्मा धनिया काट रही है

यश मालवीय

और अधिकयश मालवीय

    इसकी उसकी नींद जम्हाई

    मन से मन की गहरी खाई

    कमरे-कमरे की मजबूरी

    चौके से आँगन की दूरी

    धीरे-धीरे पाट रही है

    अम्मा धनिया काट रही है

    काट रही है कठिन समय को

    दिशा दे रही सूर्योदय को

    ताग रही बस, ताग रही है

    कपड़ों जैसे फटे हृदय को

    सुख की स्वाति बूँद,

    इस देहरी से उस देहरी बाँट रही है

    ख़ुशियों का बनकर हरकारा

    सँजो रही है चाँद सितारा

    अँधायुग, मोतियाबिंद भी

    आँखों के मोती से हारा

    द्वारे की माधवी लता की,

    लतर लाड़ से छाँट रही है

    चाय पिलाती, पान खिलाती

    बाबू जी से भी बतियाती

    बच्चों से उनकी तकलीफ़ें

    बढ़ा-चढ़ाकर कहती जाती

    घर परिवार जोड़ती, ऐसी

    रेशम वाली गाँठ रही है

    स्रोत :
    • रचनाकार : यश मालवीय
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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