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भीग गई धरती शरम से

bheeg gai dharti saram se

अन्नू रिज़वी

अन्य

अन्य

अन्नू रिज़वी

भीग गई धरती शरम से

अन्नू रिज़वी

और अधिकअन्नू रिज़वी

    बादल से छूट के टूट गया पानी

    थोड़ी-सी अनबन में रूठ गया पानी

    धरती पे बिखरा वो झम से

    भीग गई धरती शरम से

    आकाश का सारा गहना बिखर गया

    धरती की बाँहों में आके ठहर गया

    चाँदी-सा बन के

    अंबर से छन के

    तन पे गिरा जब वो छम से

    भीग गई धरती शरम से

    बदरा जो बरसे तो खनकी कलाई

    तन मन में बरखा ने आग लगाई

    जियरा लहक गया

    कुछ-कुछ बहक गया

    जाके मिला फिर बलम से

    भीग गई धरती शरम से

    धरती के सीने पे लहराता पानी

    बरसी घटा और बदली कहानी

    सुख दुःख डुबो गया

    सबको भिगो गया

    क्या क्या बताएँ क़सम से

    भीग गई धरती शरम से

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनु रिज़वी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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