CTRL : एक बेमेल दुनिया की सच्चाई, जहाँ से बचना लगभग असंभव है

कभी-कभी सोचती हूँ कि यह आभासी दुनिया भी कितनी उकताऊ हो चुकी है। कुछ भी आभासी देखने या सुनने का मन नहीं होता। जब मैंने नेटफ़्लिक्स पर ‘CTRL’ देखनी शुरू की, तो मुझे लगा कि यह एआई और डेटा-प्राइवेसी पर आधारित एक और सामान्य थ्रिलर होगी। लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ी, यह फ़िल्म उन सीमाओं को तोड़ने की कोशिश करती नज़र आई, जिन्हें हम अक्सर इन विषयों से जुड़ी फ़िल्मों में देखते हैं।

विक्रमादित्य मोटवाने द्वारा निर्देशित यह फ़िल्म तकनीक के हमारे जीवन पर बढ़ते नियंत्रण, प्राइवेसी और सर्विलांस के बीच की पतली रेखा और कॉर्पोरेट सत्ता के ख़तरों की पड़ताल करती है। हालाँकि फ़िल्म में कुछ कमियाँ भी हैं, लेकिन यह एक ऐसा रोमांचक और क्रिएटिव अनुभव है जो हमें तकनीकी नियंत्रण के मानवीय परिणामों के बारे में सोचने पर मजबूर करता है।

कहानी की शुरुआत होती है—नेला (अनन्या पांडे) से, जो एक टेक-सेवी लेकिन परेशान युवा स्त्री है। उसके एक्स-बॉयफ़्रेंड (विहान समत) जो के अचानक गायब होने के बाद उसकी ज़िंदगी पूरी तरह से बदल जाती है। एक विशाल तकनीकी कंपनी ‘मंत्रा अनलिमिटेड’ के ख़िलाफ़ चलते हुए, नेला को पता चलता है कि कंपनी का एआई सिस्टम ‘CTRL’ उपयोगकर्ताओं के निजी डेटा का दुरुपयोग कर रहा है और उनकी डिजिटल ज़िंदगी को नियंत्रित कर रहा है।

फ़िल्म की कहानी प्राइवेसी और एआई मैनिपुलेशन विषय से जुड़ी है, जो आज की दुनिया का सच है; लेकिन फ़िल्म कभी-कभी इन गहरे विचारों को पूरी तरह से व्यक्त करने में सफल नहीं हो पाती है।

एक परिचित लेकिन नई प्रस्तुति

फ़िल्म का केंद्रीय विषय—एआई द्वारा जीवन पर नियंत्रण और प्राइवेसी के नुकसान—बिल्कुल नया नहीं है। लेकिन ‘CTRL’ इन सामान्य विषयों को एक व्यक्तिगत त्रासदी और कॉर्पोरेट मनीषा के साथ मिलाकर नया आयाम देता है। इस कहानी में नेला सिर्फ़ ‘जो’ (नेला का एक्स बॉयफ्रेंड) की गुम-शुदगी का राज़ ही नहीं सुलझा रही है, वह अपनी असुरक्षाओं और भावनात्मक समस्याओं से भी जूझ रही है। यह व्यक्तिगत आयाम इस कहानी को गहराई देता है, जो अन्यथा एक स्टीरियोटाइप टेक-थ्रिलर हो सकती थी। इससे फ़िल्म अधिक वास्तविक लगती है, क्योंकि इसके पात्र अपने दोषों और भावनात्मक उलझनों के साथ दर्शकों से जुड़ते हैं।

अनन्या पांडे का ‘नेला’ के किरदार में अभिनय फ़िल्म की प्रमुख विशेषताओं में से एक है। नेला का चरित्र आज की पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करता है, जो सोशल मीडिया पर मान्यता पाने की लालसा में फँसा हुआ है, लेकिन उसी तकनीक से डरता भी है—जिस पर वह निर्भर है। नेला एक आदर्श नायिका नहीं है—उसकी अप्रत्याशितता और कमज़ोरियाँ उसे दर्शकों के लिए और अधिक वास्तविक बनाती है। फ़िल्म में अनन्या का प्रदर्शन तब सबसे अधिक प्रभावशाली लगता है, जब वह नेला के पैरानोया (भ्रम) के बढ़ते स्तर को दर्शाती हैं। हालाँकि, कई बार स्क्रिप्ट उनके किरदार को पूरी तरह से उभरने का अवसर नहीं देती है।

विहान समत, ‘जो’ के किरदार में, फ़िल्म में उतना स्क्रीन टाइम नहीं पाते हैं जितना उनके किरदार की आवश्यकता है। यह निराशाजनक है, क्योंकि उनकी भूमिका कहानी की मुख्यधारा में होती है, लेकिन हमें उनकी यात्रा के केवल टुकड़े ही देखने को मिलते हैं। ‘जो’ की किस्मत फ़िल्म की भावनात्मकता और कथा का आधार है, लेकिन मुझे ऐसा लगा कि उनके बैक स्टोरी और प्रेरणाओं की अधिक खोज की जानी चाहिए थी।

दृश्य अनुभव

विक्रमादित्य मोटवाने का डायरेक्शन इस फ़िल्म को सामान्य टेक-थ्रिलर से ऊपर उठाता है। फ़िल्म एक अनूठी ‘स्क्रीन-लाइफ़’ फ़ॉर्मेट को अपनाती है—कंप्यूटर स्क्रीन, वीडियो कॉल्स, चैट विंडोज और ई-मेल के माध्यम से कहानी बताई जाती है। इस स्टाइल ने मुझे ‘Searching’ और ‘Unfriended’  जैसी फ़िल्मों की याद दिलाई,  लेकिन मोटवाने ने इसे अपने ही तरीक़े से प्रस्तुत किया है, जिससे फ़िल्म आधुनिक और प्रासंगिक लगती है। ऑन-स्क्रीन नोटिफिकेशंस, सोशल मीडिया अपडेट्स और वीडियो फ़ीड्स का लगातार आना दर्शकों को हमारी ऑनलाइनज़िंदगी के अत्यधिक और जटिल स्वरूप से परिचित कराता है। यह तकनीक न केवल तनाव को बढ़ाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि हमारी ज़िंदगी कितनी गहराई से तकनीक में उलझी हुई है।

सिनेमैटोग्राफ़ी और एडिटिंग फ़िल्म में क्लॉस्ट्रोफ़ोबिया (संकीर्णता) और बेचैनी की भावना पैदा करती है। कई बार फ़िल्म में नेला का यह महसूस करना कि वह हमेशा किसी-न-किसी द्वारा देखी जा रही है—चाहे वह एआई हो, सोशल मीडिया के फ़ॉलोअर्स हों, या कॉर्पोरेट शक्तियाँ। फ़िल्म सफलतापूर्वक उस डर को क़ैद करती है, जो सर्विलांस में जीने से उत्पन्न होता है, जहाँ हर डिजिटल क़दम को ट्रैक और नियंत्रित किया जा सकता है।

कंट्रोल और मैनिपुलेशन के विषय

जहाँ ‘CTRL’ सबसे अधिक सफल होती है, वह है एआई और डेटा प्राइवेसी के आस-पास की नैतिकता की खोज। फ़िल्म में ‘मंत्रा अनलिमिटेड’ नाम की टेक कंपनी तकनीकी प्रगति के बिना किसी नियंत्रण के ख़तरनाक परिणामों को दिखाती है। ‘जो’ की जाँच में सामने आता है कि मंत्रा उपयोगकर्ताओं के डेटा का दुरुपयोग कर रहा है और उनकी जानकारी के बिना उनकी ज़िंदगी को नियंत्रित कर रहा है। यह पर्दाफ़ाश आज की दुनिया की वास्तविक चिंताओं के साथ मेल खाता है, जहाँ एआई का ग़लत उपयोग तेज़ी से एक वास्तविकता बनता जा रहा है।

फ़िल्म की सबसे बड़ी जीत यही है कि यह डिजिटल युग की हमारी संवेदनाओं को चुनौती देती है और यह दिखाती है कि कैसे एक छोटी-सी ग़लती हमें एक ऐसे जाल में फँसा सकती है, जिससे निकलना मुश्किल हो जाता है।

हमारी वास्तविकता का काला प्रतिबिंब

फ़िल्म का अंतिम हिस्सा एक काले मोड़ पर पहुँचता है, जिसने मुझे काफ़ी संतुष्ट किया लेकिन साथ ही परेशान भी किया। जैसे-जैसे नेला ‘जो’ की किस्मत का पर्दाफ़ाश करती है, उसे नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ता है। क्या उसे सच उजागर करने के लिए अपनी सुरक्षा को ख़तरे में डालना चाहिए या सिस्टम का सब कुछ मिटा देना चाहिए?  ‘CTRL’  का अंत एक बेमेल दुनिया की सच्चाई को दर्शाता है, जहाँ से बचना लगभग असंभव लगता है।

कमियाँ और आख़िरी बात

इसके बावजूद कि फ़िल्म हमें मनोरंजन कि अच्छी ख़ुराक देती है, फ़िल्म में कुछ ख़ामियाँ भी हैं। कई हिस्सों में गति थोड़ी धीमी हो जाती है और फ़िल्म को बीच-बीच में अतिरिक्त दृश्यों से बचाया जा सकता था। सहायक पात्र भी कहानी में अधिक योगदान नहीं दे पाते।

फिर भी, ‘CTRL’  एक मजबूत टेक-थ्रिलर है जो महत्त्वपूर्ण सवाल उठाती है। यह न केवल थ्रिलर देने वाली फ़िल्म है, बल्कि इसे देखकर आप अपनी तकनीकी आदतों पर फिर से सोचने पर मजबूर हो जाते हैं।

~

बाइस्कोप में इस हफ़्ते

यहाँ अक्टूबर 2024 के तीसरे हफ़्ते में रिलीज़ होने वाली पाँच शानदार फ़िल्में, सीरीज़ या
डॉक्युमेंट्रीज़ जिन्हें आपको ज़रूर देखना चाहिए :

नवरस कथा कोलाज (18 अक्टूबर 2024)—यह एंथोलॉजी फ़िल्म विभिन्न भावनाओं को दर्शाती है और आपस में जुड़ी कहानियों के माध्यम से मानव अनुभवों का वर्णन करती है। इसमें अलका अमिन और शीबा चड्ढा मुख्य भूमिकाओं में हैं।

क्रिस्पी रिश्ते (18 अक्टूबर 2024)—यह कॉमेडी-ड्रामा एक आधुनिक परिवार के रिश्तों और ग़लतफ़हमियों के इर्द-गिर्द घूमती है। इस फ़िल्म में रवि दुबे मुख्य भूमिका में हैं।

विक्की विद्या का वो वाला वीडियो (सिनेमाघरों में रिलीज़)—राजकुमार राव और तृप्ति डिमरी अभिनीत यह कॉमेडी फ़िल्म एक नवविवाहित जोड़े की कहानी है, जिनका एक निजी वीडियो गुम हो जाता है और वे उसे वापस लाने के लिए मज़ेदार परिस्थितियों का सामना करते हैं।

रात जवान है (सोनी-लिव पर सीरीज़)—यह ड्रामा सीरीज़ तीन क़रीबी दोस्तों की ज़िंदगी की चुनौतियों को दिखाती है, जो माता-पिता बनने के साथ-साथ अपनी निजी और पेशेवर समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

जिगरा (सिनेमाघरों में रिलीज़)—इस एक्शन फ़िल्म में आलिया भट्ट, ‘सत्या’ की भूमिका में हैं, जो अपने भाई को विदेशी जेल से बचाने के लिए संघर्ष करती है। इसे वसन बाला ने निर्देशित किया है, और यह रोमांचक एक्शन और ड्रामा से भरपूर है।

 

'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए

Incorrect email address

कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें

आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद

हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे

24 मार्च 2025

“असली पुरस्कार तो आप लोग हैं”

24 मार्च 2025

“असली पुरस्कार तो आप लोग हैं”

समादृत कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किए गए हैं। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है। वर्ष 1961 में इस पुरस्कार की स्थापना ह

09 मार्च 2025

रविवासरीय : 3.0 : ‘चारों ओर अब फूल ही फूल हैं, क्या गिनते हो दाग़ों को...’

09 मार्च 2025

रविवासरीय : 3.0 : ‘चारों ओर अब फूल ही फूल हैं, क्या गिनते हो दाग़ों को...’

• इधर एक वक़्त बाद विनोद कुमार शुक्ल [विकुशु] की तरफ़ लौटना हुआ। उनकी कविताओं के नवीनतम संग्रह ‘केवल जड़ें हैं’ और उन पर एकाग्र वृत्तचित्र ‘चार फूल हैं और दुनिया है’ से गुज़रना हुआ। गुज़रकर फिर लौटना हुआ।

26 मार्च 2025

प्रेम, लेखन, परिवार, मोह की 'एक कहानी यह भी'

26 मार्च 2025

प्रेम, लेखन, परिवार, मोह की 'एक कहानी यह भी'

साल 2006 में प्रकाशित ‘एक कहानी यह भी’ मन्नू भंडारी की प्रसिद्ध आत्मकथा है, लेकिन मन्नू भंडारी इसे आत्मकथा नहीं मानती थीं। वह अपनी आत्मकथा के स्पष्टीकरण में स्पष्ट तौर पर लिखती हैं—‘‘यह मेरी आत्मकथा

19 मार्च 2025

व्यंग्य : अश्लील है समय! समय है अश्लील!

19 मार्च 2025

व्यंग्य : अश्लील है समय! समय है अश्लील!

कुछ रोज़ पूर्व एक सज्जन व्यक्ति को मैंने कहते सुना, “रणवीर अल्लाहबादिया और समय रैना अश्लील हैं, क्योंकि वे दोनों अगम्यगमन (इन्सेस्ट) अथवा कौटुंबिक व्यभिचार पर मज़ाक़ करते हैं।” यह कहने वाले व्यक्ति का

10 मार्च 2025

‘गुनाहों का देवता’ से ‘रेत की मछली’ तक

10 मार्च 2025

‘गुनाहों का देवता’ से ‘रेत की मछली’ तक

हुए कुछ रोज़ किसी मित्र ने एक फ़ेसबुक लिंक भेजा। किसने भेजा यह तक याद नहीं। लिंक खोलने पर एक लंबा आलेख था—‘गुनाहों का देवता’, धर्मवीर भारती के कालजयी उपन्यास की धज्जियाँ उड़ाता हुआ, चन्दर और उसके चरित

बेला लेटेस्ट