Font by Mehr Nastaliq Web

अर्थ की खोज में हम भटक जाते हैं, सारे सफल-असफल प्रयास मेरी प्रेरणा हैं

हान कांग (जन्म : 1970) दक्षिण कोरियाई लेखिका हैं। वर्ष 2024 में, वह साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली पहली दक्षिण कोरियाई लेखक और पहली एशियाई लेखिका बनीं। नोबेल से पूर्व उन्हें उनके उपन्यास 'द वेजिटेरियन' के लिए जाना जाता है, इस कृति को 2016 में मैन बुकर इंटरनेशनल पुरस्कार मिला था। हान कांग के साहित्य से गुज़रते हुए आप ख़ुद को आघात, हिंसा, मानव शरीर और अस्तित्ववादी पीड़ा जैसे विषयों से जुड़ी ज़मीन पर खड़ा पाएँगे। वह इंसानी प्रवृत्तियों, भावनाओं और जीवन के अँधेरे पहलुओं की गहराई से पड़ताल करने के लिए जानी जाती हैं।

इस वर्ष के साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिलने की ख़बर लेखिका हान कांग को जिस समय मिली, तब वह अपने बेटे के साथ रात्रि का भोजन कर रही थीं। नोबेल पुरस्कार देने वाली टीम द्वारा बधाई के लिए की गई कॉल पर, उन्होंने अपने जीवन और उन लेखकों के बारे में बताया जो हान के लेखकीय जीवन में प्रेरणास्त्रोत रहे हैं। नोबेल मिलने के बाद उनकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी? दुनिया भर के पाठकों को हान कांग की रचनाओं को कैसे और कहाँ से पढ़ना चाहिए, यह इस बातचीत द्वारा समझा जा सकता है। यहाँ प्रस्तुत है नोबेल टीम की सदस्य जेनी राइडन से फ़ोन पर हुई उनकी बातचीत का हिंदी अनुवाद। ‘हिन्दवी’ के लिए यह अनुवाद द्वारिका नाथ पांडेय ने किया है।

जेनी राइडन : हेल्लो, हान कांग?

हान कांग : जी हाँ।

जेनी : मेरा नाम जेनी राइडेन है। मैं नोबेल पुरस्कार के कार्यालय से बात कर रही हूँ। आपको नोबेल प्राइज़ के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ।

हान : थैंक्यू। थैंक्यू सो मच।

जेनी : आप इस वक़्त कैसा महसूस कर रही हैं?

हान : मुझे यह सुनकर बहुत आश्चर्य हुआ है, लेकिन अभी मैं गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ।

जेनी : आपको ख़ुद को पुरस्कार मिलने के बारे में कैसे पता चला?

हान : किसी ने फ़ोन करके मुझे यह सूचना दी। कोरियाई समय के मुताबिक़ आठ बजे थे और उस वक़्त मैं अपने घर में अपने बेटे के साथ डिनर कर रही थी। इस शांत शाम में अचानक मिली ख़ुशख़बरी ने मुझे रोमांचित कर दिया।

जेनी : आप अपने घर सिओल में हैं? आपका आज का दिन कैसे बीता?

हान : जी, आज मैंने कोई काम नहीं किया। सिवाय पढ़ने और टहलने के।

जेनी : आपने बताया कि आप अपने बेटे के साथ थीं। इस सब पर उनका क्या रिएक्शन था?

हान : मेरा बेटा भी हैरान था, लेकिन हमारे पास इस बारे में बात करने के लिए ज़्यादा समय नहीं था। हम दोनों आश्चर्य से भरे थे, बस इतना ही।

जेनी : मैं समझती हूँ, साहित्य में नोबेल मिलने के आपके लिए क्या मायने हैं?

हान : मैं ख़ुद में गौरवान्वित हूँ, और आपकी पूरी टीम वाक़ई में प्रशंसनीय है।

जेनी : आप पहली कोरियाई लेखक हैं जिसे नोबेल मिला है। आपके लिए यह अहसास कैसा है?

हान : मेरा पूरा बचपन किताबों के बीच बीता है। ख़ासकर कोरियाई साहित्य या कोरियाई भाषा में अनुदित साहित्य मैंने ख़ूब पढ़ा है, इसलिए यह कह सकते हैं कि मैं कोरियाई साहित्य के बीच बड़ी हुई हूँ और यह मेरे दिल के सबसे क़रीब है। और मुझे उम्मीद है कि यह ख़बर कोरियाई साहित्य के पाठकों और मेरे दोस्तों, लेखकों के लिए अच्छी होगी।

जेनी : आपने बताया की आपकी पृष्ठभूमि साहित्यिक है तो वे कौन से लेखक हैं जिनसे आपको सबसे अधिक प्रेरणा मिली?

हान : मेरे लिए बचपन से सभी लेखक महत्त्वपूर्ण रहे हैं क्योंकि वे सब जीवन में अर्थ की खोज कर रहे हैं। कभी-कभी वे अर्थ की खोज में भटक जाते हैं तो कभी अपने दृढ़ निश्चय से अपनी खोज में सफल हो जाते हैं। उनके सारे सफल-असफल प्रयास, मेरी प्रेरणा हैं, इसलिए मेरे द्वारा प्रेरणा के कुछ नाम चुनना बहुत मुश्किल है। वाक़ई...यह बहुत मुश्किल है।

जेनी : मैंने पढ़ा है कि स्वीडिश लेखिका एस्ट्रिड लिंडग्रेन आपके लिए प्रेरणा का एक स्रोत रही हैं?

हान : हाँ, जब मैं बच्ची थी तो मुझे उनकी किताब ‘लायनहार्ट ब्रदर्स’ बहुत पसंद थी, लेकिन मैं यह नहीं कह सकती कि वह एकमात्र लेखिका हैं जिन्होंने मुझे प्रेरित किया। मैंने जब उनकी किताब ‘लायनहार्ट ब्रदर्स’ पढ़ी तो मैं उस पुस्तक का संबंध जीवन, मृत्यु और मनुष्य पर अपने प्रश्नों से स्थापित कर पाई।

जेनी : कोई व्यक्ति जो अभी-अभी आपके लेखन के बारे में जान रहा है, उसे आप ख़ुद को पढ़ने की शुरुआत कहाँ से करने का सुझाव देना चाहेंगी?

हान : मेरी किताबों में से? मुझे लगता है कि हर लेखक को अपनी सबसे नई किताब अधिक पसंद होती है। तो मेरी सबसे हालिया किताब है ‘वी डू नॉट पार्ट’ या इसका नाम है ‘आई डू नॉट बिड फ़ेयरवेल’ या ‘इम्पॉसिबल गुडबाय’। मुझे उम्मीद है कि यह किताब एक अच्छी शुरुआत बन सकती है। 

दूसरी पुस्तक है ‘ह्यूमन एक्ट्स’ जो कि सीधे इस किताब ‘वी डू नॉट पार्ट’ से जुड़ी हुई है और फिर ‘द व्हाइट बुक’, जो मेरे लिए बहुत ही निजी भावनाओं से भरी किताब है; क्योंकि यह आत्मकथात्मक शैली में लिखी गई है। मेरी एक चर्चित पुस्तक ‘द वेजिटेरियन’ भी है, लेकिन मुझे लगता है कि मुझे पढ़े जाने की एक शानदार शुरुआत ‘वी डू नॉट पार्ट’ से हो सकती है।

जेनी : अंतरराष्ट्रीय पाठक वर्ग में शायद ‘द वेजिटेरियन’ पुस्तक सबसे परिचित और प्रसिद्ध है। यह विशेष उपन्यास आपके लिए क्या मायने रखता है?

हान : मैंने इसे तीन वर्षों में लिखकर पूरा किया और कई कारणों से यह तीन वर्ष मेरे जीवन के सबसे कठिन वर्ष थे। इसलिए मुझे लगता है कि मैं उस दौरान इसके मुख्य पात्र की छवियों को पकड़ने के लिए संघर्ष कर रही थी। उसके आसपास के लोगों, पेड़ों, सूरज की रोशनी, मैं हर इक चीज़ को जीवंत बनाने के लिए उन तीन वर्षो में संघर्ष कर रही थी।

जेनी : आप नोबेल प्राइज़ का जश्न कैसे मनाएँगी...कोई योजना?

हान : इस फ़ोन कॉल के बाद, मैं चाय पीना पसंद करूँगी। हालाँकि मैं पीती नहीं हूँ, लेकिन आज अपने बेटे के साथ पीने जा रही हूँ।

जेनी : बहुत अच्छा! आपको पुनः बधाई और बात करने के लिए शुक्रिया। गुड बाय! 

हान : शुक्रिया, गुड बाय!

~~~

यह बातचीत अँग्रेज़ी में द नोबेल प्राइज़ की वेबसाइट पर उपलब्ध है। | हान कांग की पाँच कथाएँ यहाँ पढ़िए

'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए

Incorrect email address

कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें

आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद

हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे

26 मई 2025

प्रेम जब अपराध नहीं, सौंदर्य की तरह देखा जाएगा

26 मई 2025

प्रेम जब अपराध नहीं, सौंदर्य की तरह देखा जाएगा

पिछले बरस एक ख़बर पढ़ी थी। मुंगेर के टेटिया बंबर में, ऊँचेश्वर नाथ महादेव की पूजा करने पहुँचे प्रेमी युगल को गाँव वालों ने पकड़कर मंदिर में ही शादी करा दी। ख़बर सार्वजनिक होते ही स्क्रीनशॉट, कलात्मक-कैप

31 मई 2025

बीएड वाली लड़कियाँ

31 मई 2025

बीएड वाली लड़कियाँ

ट्रेन की खिड़कियों से आ रही चीनी मिल की बदबू हमें रोमांचित कर रही थी। आधुनिक दुनिया की आधुनिक वनस्पतियों की कृत्रिम सुगंध से हम ऊब चुके थे। हमारी प्रतिभा स्पष्ट नहीं थी—ग़लतफ़हमियों और कामचलाऊ समझदारियो

30 मई 2025

मास्टर की अरथी नहीं थी, आशिक़ का जनाज़ा था

30 मई 2025

मास्टर की अरथी नहीं थी, आशिक़ का जनाज़ा था

जीवन मुश्किल चीज़ है—तिस पर हिंदी-लेखक की ज़िंदगी—जिसके माथे पर रचना की राह चलकर शहीद हुए पुरखे लेखक की चिता की राख लगी हुई है। यों, आने वाले लेखक का मस्तक राख से साँवला है। पानी, पसीने या ख़ून से धुलकर

30 मई 2025

एक कमरे का सपना

30 मई 2025

एक कमरे का सपना

एक कमरे का सपना देखते हुए हमें कितना कुछ छोड़ना पड़ता है! मेरी दादी अक्सर उदास मन से ये बातें कहा करती थीं। मैं तब छोटी थी। बच्चों के मन में कमरे की अवधारणा इतनी स्पष्ट नहीं होती। लेकिन फिर भी हर

28 मई 2025

विनोद कुमार शुक्ल का आश्चर्यलोक

28 मई 2025

विनोद कुमार शुक्ल का आश्चर्यलोक

बहुत पहले जब विनोद कुमार शुक्ल (विकुशु) नाम के एक कवि-लेखक का नाम सुना, और पहले-पहल उनकी ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ हाथ लगी, तो उसकी भूमिका का शीर्षक था—विनोद कुमार शुक्ल का आश्चर्यलोक। आश्चर्यलोक—विकुशु के

बेला लेटेस्ट