संजीव गुप्त के बेला
09 जुलाई 2025
गुरु दत्त : कुछ कविताएँ
क्या तलाश है, कुछ पता नहीं* वह पीता रहा अपनी ज़िंदगी को एक सिगरेट की तरह तापता रहा अपनी उम्र को एक अलाव की तरह और हम ढूँढ़ते हैं उस राख के क़तरे तलाशते हैं उसके बेचैन होंठों की थरथराहट उसकी
पढ़ने के तरीक़े
एक पुस्तक को पढ़ने के कितने तरीक़े हो सकते हैं! आइए देखें : • एक तरीक़ा तो वह है जो मैं किसी भी नई पुस्तक को हाथ में लेते ही शुरू कर देता हूँ। उसे पेज-दर-पेज पलटते जाना। साथ मे उसके सारे अध्यायों के