आत्मा पर निबंध
आत्मा या आत्मन् भारतीय
दर्शन के महत्त्वपूर्ण प्रत्ययों में से एक है। उपनिषदों ने मूलभूत विषय-वस्तु के रूप में इस पर विचार किया है जहाँ इसका अभिप्राय व्यक्ति में अंतर्निहित उस मूलभूत सत् से है जो शाश्वत तत्त्व है और मृत्यु के बाद भी जिसका विनाश नहीं होता। जैन धर्म ने इसे ही ‘जीव’ कहा है जो चेतना का प्रतीक है और अजीव (जड़) से पृथक है। भारतीय काव्यधारा इसके पारंपरिक अर्थों के साथ इसका अर्थ-विस्तार करती हुई आगे बढ़ी है।
अमेरिका का मस्त जोगी वाल्ट हिटमैन—(Walt Whitman)
अमेरिका के लंबे-लंबे हरे देवदारों के घने वन में वह कौन फिर रहा है? कभी यहाँ टहलता है कभी वहाँ गाता है। एक लंबा, ऊँचा, वृद्ध-युवक, मिट्टी-गारे से लिप्त, मोटे वस्त्र का पतलून और कोट पहने, नंगे सिर, नंगे पाँव और नंगे ही दिल अपनी तिनकों की टोपी मस्ती
सरदार पूर्ण सिंह
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere