Font by Mehr Nastaliq Web

धर्मनिरपेक्षता पर उद्धरण

भारतीय संविधान में विशेष

संशोधन के साथ धर्मनिपेक्षता शब्द को शामिल किए जाने और हाल में सेकुलर होने जैसे प्रगतिशील मूल्य को ‘सिकुलर’ कह प्रताड़ित किए जाने के संदर्भ में कविता में इस शब्द की उपयोगिता सुदृढ़ होती जा रही है। यहाँ इस शब्द के आशय और आवश्यकता पर संवाद जगाती कविताओं का संकलन किया गया है।

quote

धर्मनिरपेक्ष जिसे कह सकें ऐसा कोई आदमी नहीं है।

त्रिलोचन

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

संबंधित विषय