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धर्मनिरपेक्षता पर कविताएँ

भारतीय संविधान में विशेष

संशोधन के साथ धर्मनिपेक्षता शब्द को शामिल किए जाने और हाल में सेकुलर होने जैसे प्रगतिशील मूल्य को ‘सिकुलर’ कह प्रताड़ित किए जाने के संदर्भ में कविता में इस शब्द की उपयोगिता सुदृढ़ होती जा रही है। यहाँ इस शब्द के आशय और आवश्यकता पर संवाद जगाती कविताओं का संकलन किया गया है।

मुसलमान

देवी प्रसाद मिश्र

तक़दीर का बँटवारा

रामधारी सिंह दिनकर

नूर मियाँ

रमाशंकर यादव विद्रोही

अस्मिता

ज़ुबैर सैफ़ी

हलफ़नामा

असद ज़ैदी

गले मिलते रंग

विनोद दास

गंगा मस्जिद

फ़रीद ख़ाँ

डॉल्टनगंज के मुसलमान

विशाल श्रीवास्तव

फ़हमीदा आपा के नाम

सत्येंद्र कुमार

कर्बला

राजेश जोशी

ख़ुदा, रामचंदर में यारी है ऐसी

रमाशंकर यादव विद्रोही

निज़ामुद्दीन

देवी प्रसाद मिश्र

शब्द मुसलमान

उमा शंकर चौधरी

मेरे अपराध

नवनीत पांडे

अहमदाबाद

शिव कुमार गांधी

विलय

राजेश शर्मा

लव जेहाद

फ़िरोज़ ख़ान

अयोध्या

कुबेर दत्त

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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