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राम पर कविताएँ

सगुण भक्ति काव्यधारा

में राम और कृष्ण दो प्रमुख अराध्य देव के रूप में प्रतिष्ठित हुए। राम की प्रतिष्ठा एक भावनायक और लोकनायक की है जिन्होंने संपूर्ण रूप से भारतीय जीवन को प्रभावित किया है। समकालीन सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों ने भी राम को कविता चिंतन का प्रसंग बनाया। इस चयन में राम के अवलंब से अभिव्यक्त बेहतरीन दोहों और कविताओं का संकलन किया गया है।

राम की शक्ति-पूजा

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

कला का समय

पंकज चतुर्वेदी

सीता नहीं मैं

आभा बोधिसत्व

नज़्र-ए-तुलसीदास

कृष्ण कल्पित

खिलौनेवाला

सुभद्राकुमारी चौहान

छह दिसंबर

नरेश सक्सेना

एक घटना

जी. एस. शिवरुद्रप्पा

सीता

एन. कुमारन आशान

महाकवि

त्रिभुवन

तुलसी बाबा

त्रिलोचन

अयोध्या

हरीशचंद्र पांडे

राम भरोसा

बालमुकुंद गुप्त

तुम्हारा दिया

पंकज चतुर्वेदी

तुलसी तुमने गाया

कृष्ण मुरारी पहारिया

हे! राम

बाबुषा कोहली

हे राम

बालमुकुंद गुप्त

राम-विनय

बालमुकुंद गुप्त

तुलसीदास

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

जय रामचंद्र

बालमुकुंद गुप्त

धारावाहिक

चंदन सिंह

प्रेरणा

पंकज चतुर्वेदी

तुलसीदास

बी. गोपाल रेड्डी

मंथराएँ

सदानंद शाही

रामदीन

शंभु यादव

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere